रांची: झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से सख्त लहजे में पूछा कि “बच्चों का क्या होगा?” खंडपीठ ने कहा कि ये राज्य के अपने बच्चे हैं और उन्हें कैसी शिक्षा मिल रही है, यह अत्यंत गंभीर विषय है।
सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को निर्देश दिया कि सहायक आचार्य परीक्षा का नया शेड्यूल प्रस्तुत करें और नियुक्ति प्रक्रिया की समयसीमा को घटाया जाए ताकि आगामी शैक्षणिक सत्र में ही बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। कोर्ट ने कहा कि दो से तीन महीने के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाए।
सुनवाई के दौरान शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव भी मौजूद थे। अगली सुनवाई की तारीख 23 अप्रैल निर्धारित की गई है।
26001 सहायक आचार्य होंगे नियुक्त
राज्य सरकार ने अदालत में शपथ पत्र दाखिल करते हुए बताया कि 26001 स्नातक और इंटरमीडिएट प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों की नियुक्ति पारदर्शी तरीके से की जा रही है। सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और JSSC की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि JSSC द्वारा पहले ही परीक्षा आयोजित की जा चुकी है, और कुछ विषयों—जैसे कुरमाली, हो और पंचपरगनिया—में पुनर्परीक्षा होनी है।
सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले सहायक आचार्य परीक्षा के परिणाम पर जो रोक लगाई थी, वह अब हटा दी गई है। परीक्षा परिणामों की घोषणा स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए अगस्त से नवंबर 2025 के बीच और इंटरमीडिएट प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए जनवरी 2026 में की जाएगी।
प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता पीयूषिता मेहा टुडू ने अदालत को अवगत कराया कि 26001 शिक्षकों की नियुक्ति से राज्य में शिक्षकों की भारी कमी पूरी नहीं हो सकेगी और यह संख्या अपर्याप्त है।
खंडपीठ की इस सख्ती और सरकार को दी गई समयसीमा से उम्मीद जताई जा रही है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और बच्चों को शीघ्र ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।