रांची: रांची में खुले और झूलते बिजली के तार तथा मोबाइल कंपनियों के केबुल आम लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) ने भले ही शहर में कोटेड वायर और अंडरग्राउंड केबलिंग का दावा किया हो, लेकिन हकीकत यह है कि कई इलाकों में बिजली के पोलों पर तारों का जाल फैला हुआ है।
विशेष रूप से सर्जना चौक से लेकर अल्बर्ट एक्का चौक और पुरुलिया रोड तक की सड़क के किनारे लगे पोलों पर मोबाइल कंपनियों के केबुल बेतरतीब तरीके से लटक रहे हैं। ये दृश्य न सिर्फ शहर की बदहाली को दर्शाते हैं, बल्कि आने वाले मॉनसून में करंट फैलने और शॉर्ट सर्किट की आशंका को भी बढ़ा देते हैं।
धुर्वा बस्ती में स्थिति और भी खराब है, जहां अवैध कॉलोनियों में बिजली के तार इतने नीचे लटके हैं कि लोग उस पर गीले कपड़े सुखा रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार इन तारों में करंट नहीं रहता, इसलिए उन्हें नीचे खींच दिया गया है – जो कि किसी भी वक्त खतरे का कारण बन सकता है।
कांटाटोली से लोवाडीह तक फुटपाथ पर फल-सब्जी विक्रेता तारों पर रस्सी बांधकर तिरपाल टांग रहे हैं। ऐसे में तेज हवा या बारिश के दौरान तिरपाल उखड़ने पर तार नीचे गिर सकते हैं, जिससे जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है।
पुरुलिया रोड से डंगराटोली होते हुए कांटाटोली तक के डिवाइडर में बिजली के पोल मोबाइल और केबुल ऑपरेटरों के तारों से पटे पड़े हैं। यहां तारों का ऐसा मकड़जाल फैला है कि यह कभी भी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि नगर निगम और संबंधित एजेंसियों की अनदेखी से यह खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। मॉनसून से पहले यदि इन तारों को व्यवस्थित नहीं किया गया, तो गंभीर हादसे होना तय है।