हम Environmental Protection के लिए काम नहीं करेंगे तो दुष्परिणाम अगली पीढ़ियां भुगतेंगी- मुंगेर डीएम

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‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्‍सर्जन विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत मुंगेर में कार्यशाला आयोजित।

मुंगेर: गुरूवार को मुंगेर संग्रहालय में कार्बन न्यूट्रल राज्य बनाने की दिशा में ‘बिहार राज्य की जलवायु अनुकूलन एवं न्यून कार्बन उत्सर्जन विकास रणनीति’ के क्रियान्वयन संबंधित क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रमंडलीय स्तर प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुंगेर के जिला पदाधिकारी अवनीश कुमार सिंह की अध्यक्षता में किया गया। कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कचरा प्रबंधन, भवन निर्माण और कृषि क्षेत्रों में व्यावहारिक, जलवायु-अनुकूल कार्यों की आवश्यकता पर जोर दिया, जैसे कि पराली जलाना रोकना और कहा कि हम सभी मुख्यमंत्री के दूरदर्शिता के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।

यदि हम अब पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य नहीं करते हैं, तो इसके दुष्परिणाम भविष्य की पीढ़ियों को भुगतने पड़ेंगे। इसलिए, जिला स्तर पर इस प्रकार के विचार-विमर्श और मुद्दों और विचारों का आदान-प्रदान महत्वपूर्ण है। इस कार्यशाला से प्राप्त जानकारी और अंतर्दृष्टि जमीनी स्तर पर अपनाए जा सकते हैं। मुंगेर के उप- विकास आयुक्त अजीत कुमार सिंह ने स्वागत उद्बोधन में जलवायु परिवर्तन, इसके प्रतिकूल प्रभावों और सुधारात्मक क़दमों बारे में बताया।

बिहार में मौसम संबंधी चरम घटनाओं और आपदाओं की अत्यधिक संभावना रहती है, जो राज्य के विभिन्न भागों में प्रतिवर्ष बाढ़ और सूखे के रूप में देखी जाती है। इसलिए बिहार के लिए यह और भी आवश्यक है की विकास कार्य जलवायु अनुकूल हों। कार्यशाला की विस्तृत जानकारी डब्लूआरआई इंडिया के प्रोग्राम प्रबंधक डॉ शशिधर कुमार झा एवं मणि भूषण कुमार झा ने दिया।

मणि भूषण ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों के दौरान बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद ने संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) तथा शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन और डब्‍ल्‍यूआरआई इंडिया व अन्य संगठनों की तकनीकी सहायता से बिहार राज्य के उक्त संकल्प को पूर्ण करने हेतु राज्य स्तरीय दीर्घकालीन रणनीति में अनुकूलन और शमन दोनों ही उपायों को जोड़कर राज्य में जलवायु संरक्षण से संबंधित रणनीति प्रस्तावित की है। इस कार्यशाला का उद्देश्य रणनीति का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन हेतु स्थानीय हितधारकों को इसके बारे में संवेदित करना, क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों की पहचान करना तथा उनके समाधान के रास्तों पर विचार विमर्श करना है।

डॉ शशिधर ने अपने सम्बोधन में कहा कि वर्तमान में बिहार लगभग 97 मेट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्‍साइड समतुल्‍य का कार्बन उत्‍सर्जन करता है, जो कि भारत के संपूर्ण उत्सर्जन का लगभग 3 प्रतिशत है। आने वाले वर्षों में राज्य में विकास की गति बढ़ने से कार्बन उत्सर्जन और भी बढ़ सकता है, लेकिन नेट जीरो रणनीति को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में तुलनात्मक कमी लायी जा सकती है, परिणाम स्वरुप जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को भी कम किया जा सकता है।

स्वच्छ भवन निर्माण प्रौद्योगिकियों के बारे में बात करते हुए डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के प्रोग्राम ऑफिसर अविनाश कुमार ने फ्लाई ऐश ईंटों, कम कार्बन उत्सर्जन वाले सीमेंट, पर्यावरण के अनुकूल भवन डिजाइन, ईंट भट्टों को स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में बदलने और ईंट निर्माण के लिए बायोमास के उपयोग के बारे में बात की।

कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण एवं अन्य हितधारकों ने भी अपने विचार साझा किये। प्रतिभागियों द्वारा उठाये गए मुद्दों में घरेलू स्तर पर अपशिष्ट पृथक्करण, कृषि और अपशिष्ट प्रबंधन कार्यों में कार्बन क्रेडिट और ईंट निर्माण प्रौद्योगिकी में गुणवत्ता नियंत्रण इत्यादि थे। कार्यशाला के अंत में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय पदाधिकारी ऐस पी रॉय ने धन्यवाद ज्ञापन किया। अगली प्रमंडलीय स्तर कार्यशाला मुज़फ़्फ़रपुर में आयोजित की जा रही है।

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