डिजीटल डेस्क : भारत ने चिन्मय दास को जमानत न मिलने पर जताई चिंता, भेजे गए जेल। सोमवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किए गए इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को मंगलवार को बांग्लादेश के कोर्ट ने जेल भेज दिया।
बांग्लादेश के कोर्ट में मंगलवार को हिंदू संगठन सम्मिलित सनातनी जोत के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया गया। कोर्ट ने संत चिन्मय दास को जेल भेजने का आदेश दिया है।
बांग्लादेश में सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर भारत सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और पूरे प्रकरण पर गंभीर चिंता जाहिर की है।

चटगांव कोर्ट ने चिन्मय दास जमानत देने से किया इनकार
चटगांव में बीते सोमवार संत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी की जानकारी की सूचना मिलते ही लोग सड़कों पर उतर गए। गिरफ्तार संत की रिहाई की मांग कर रहे सनातनी बैनर वाले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों पर हिंसक हमले भी हुए। लेकिन प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यों का विक्षोभ प्रदर्शन जारी है।
इस बीच कड़ी सुरक्षा के बीच संत चिन्मय दास को चटगांव के छठें मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत में मंगलवार को पेश किया गया। कोर्ट के बाहर लोगों ने आरोप लगाया कि हिरासत में बांग्लादेशी पुलिस ने संत चिन्मय पर अपशब्दों की बौछार करते हुए दुर्व्यवहार किया है।
चटगांव के छठें मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत ने मंगलवार को पेश किए गए चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर दी। उससे उनके समर्थकों में खासी नाराज़गी है।

चिन्मय दास की जमानत खारिज करने को भारत ने हिंदुओं पर हमला बताया
इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु के खिलाफ बांग्लादेश में राजद्रोह का केस दर्ज करने, फिर उनकी गिरफ्तारी किए जाने और अब उनकी जमानत अर्जी को खारिज किए जाने पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया की है। बांग्लादेश में इस पूरे प्रकरण पर भारत ने गंभीर चिंता व्यक्त की है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उन्हें जमानत देने से इनकार करने को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर इसे अल्पसंख्यकों खास तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हमला बताया है।

भारत ने कड़े शब्दों में बांग्लादेश को अल्पसंख्यक हिंदुओं के अधिकारों को सुनिश्चित कराने को कहा….
बांग्लादेश में संत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद वहां विक्षोभ प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हिंसक हमले और दमनात्कम कार्रवाई पर भी भारत ने गंभीर आपत्ति जताई है। पूरे मामले पर चिंता जाहिर करते हुए भारत ने बांग्लादेश के अधिकारियों से अपने देश में हिंदुओं के अधिकारों को सुनिश्चित कराने को कहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि – ‘सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत देने से इनकार करना बेहद चिंताजनक है। यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथियों की ओर से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हुए कई हमलों के बाद हुई है।
…बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं।
….यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी छुपे हुए हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए जायज़ मांगें पेश करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ़ आरोप लगाए जा रहे हैं।
…हम कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे अल्पसंख्यकों पर हमलों पर भी चिंता व्यक्त करते हैं’।

भारत ने बांग्लादेश से शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाला अधिकार सुनिश्चित करने को कहा…
इसी के साथ ही भारत सरकार ने बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने अपील की है। इसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।
बता दें कि चिन्मय दास समेत 19 लोगों पर बीते 30 अक्टूबर को चटगांव के कोतवाली थाने में एक केस दर्ज किया था। उन पर एक हिंदू रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।
बीते सोमवार को ढाका पुलिस ने उसी मामले में राजद्रोह वाली धाराओं में ढाका एयरपोर्ट पर चिन्मय कृष्ण दास को पहले रोका था। फिर पूछताछ के बहाने हिरासत में एक गोपनीय ठिकाने ले गई और काफी देर बाद उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की गई।
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