इंडस्ट्री राउंड टेबल मीट का आयोजन, चिराग ने कहा- Food प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमियों से हुई बात

इंडस्ट्री राउंड टेबल मीट का आयोजन, चिराग ने कहा- Food प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमियों से हुई बात

पटना : पटना में इंडस्ट्री राउंड टेबल मीट का आयोजन हुआ। इस बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान मौजूद रहे। बैठक का उद्देश्य राज्य में Food Processing के संभावित अवसरों और मेगा फूड इवेंट को लेकर चर्चा की गई। World Food India-2024 से संबंधित विषय पर भी बैठक में चर्चा होगी। बिहार के उद्यमियों के साथ बैठक हो रही है। कई उद्यमी बैठक में शामिल हुए हैं।

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि आज उद्यमियों के साथ बैठक हुई। विभाग और मंत्रालय के बीच की दूरियां कम हो। Food प्रोसेसिंग से जुड़े उद्यमियों से बात की। उनकी समस्याओ का समाधान हो ये कोशिश की जा रही है। बिहार में फूड प्रोसेसिंग यूनिट बढ़ेगी उनकी समस्या दूर की जाएगी। सिर्फ बड़ी यूनिट ही नहीं छोटे यूनिट को भी फायदा मिले ये कोशिश है।वर्ल्ड फूड इंडिया की 2017 में इसकी शुरुआत की है। विदेशों से उद्यमी भारत आए और भारत के उद्यमियों को अंतराष्ट्रीय बाजार मिले ये कोशिश की जा रही है। 19 से 22 अगस्त तक ये कार्यक्रम होने जा रहा। कई MOU भी इस दौरान होंगे। चिराग ने कहा कि जमीन अधिग्रहण के कारण उद्योग लगाने में दिक्कत आ रही है। कई राज्यों के साथ इस तरह की परेशानी आती है। राज्य सरकार के साथ बैठक कर समस्या दूर करने की कोशिश की जाएगी। फूड प्रोसेसिंग के जरिए रोजगार के बड़े अवसर उपलब्ध होंगे।

चिराग ने अपनी पार्टी को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला आया है। फैसले पर आपत्ति है। एलजेपी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर होगी। सुप्रीम कोर्ट में ऐसी जाति को शामिल किया गया जिसका आधार छुआछूत रहा है। सविधान में आर्थिक आधार नहीं रहा है। इसमें आरक्षण का प्रावधान हो ही नहीं सकता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश मैंने पढ़ा है, उसमें छुआछूत का कोई जिक्र नहीं है। कई उदाहरण है। दलित समाज से आने वाले को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता। मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर को गंगाजल को धोया जाता है। ये आर्थिक आधार नहीं बल्कि छुआछूत के कारण है।

चिराग पासवान ने जातीय गणना को लेकर कहा कि यह बहुत ही जरूरी है, लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक करने की जरुरत नहीं है। राज्य हो या केंद्र सरकार कई ऐसी नीतियां बनाती हैं जो जाति के आधार पर ही बनती है। ताकी उन जातियों को मुख्य धारा के साथ जोड़ा जा सके। इसलिए सरकार के पास ऐसी जातियों के आंकड़े होने जरुरी है। इन आंकड़ों को सार्वजनिक करने की जरुरत नहीं है।

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अविनाश सिंह की रिपोर्ट

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