झारखंड विधानसभा चुनाव : सियासी सरगर्मी बढ़ी, गठबंधन में खटास

झारखंड विधानसभा चुनाव: सियासी सरगर्मी बढ़ी, गठबंधन में खटास

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर पकड़ रही है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतियों को लेकर सक्रिय हैं। इस बीच, आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है, जिससे राजनीतिक माहौल में गर्मी बढ़ती जा रही है। खासकर, इंडी गठबंधन में स्थिति काफी दिलचस्प बन गई है, जहां कांग्रेस ने अपनी भूमिका को लेकर कुछ विवादास्पद बयान दिए हैं।

कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर के हालिया बयान ने सियासी हलचलों को जन्म दिया है। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस झारखंड में 25 से 30 सीटें जीतती है, तो वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दावा कर सकती है। यह बयान कांग्रेस की “छोटे भाई की भूमिका” के दावे के खिलाफ जाता है। मीर ने कहा, “अगर हम 35-40 सीटें लड़ने जा रहे हैं और 25 से 30 सीटें जीत लाए, तो मैं गारंटी देता हूं कि अगला मुख्यमंत्री कांग्रेस का होगा।”

झारखंड विधानसभा चुनाव :

इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार ने तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “हमने पिछले पांच वर्षों में जो काम किया है, उसके आधार पर हमें 81 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। हम चुनाव केवल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ही लड़ेंगे।” जेएमएम ने कांग्रेस को 2009 और 2014 के चुनावों की याद दिलाते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में सरकार चलाने का उनका रिकॉर्ड है।

कांग्रेस विधायक दल के नेता रामेश्वर उराव ने भी मीर के बयान को संदर्भित करते हुए कहा, “यह केवल लोगों के अंदर जोश बढ़ाने के लिए कहा जाता है। काम करेंगे और सीटें बढ़ेंगी, तभी बात आगे बढ़ेगी।” उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल 10 से 12 सीटें लाने पर कांग्रेस का मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी कहा था कि झारखंड में झामुमो के साथ गठबंधन में सरकार है, लेकिन एक दिन आएगा जब कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाएगी। लेकिन गुलाम अहमद मीर का बयान जेएमएम के लिए बेचैनी का कारण बन गया है, जिससे साफ हो रहा है कि झारखंड में सियासी खेल और भी दिलचस्प होता जा रहा है।

इस प्रकार, झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टियों के बीच की खींचतान और बयानबाजी ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है, जिससे आगे की राजनीति और भी जटिल हो सकती है।

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