झारखंड हाईकोर्ट ने 2018 से अब तक हिरासत में हुई मौतों का ब्योरा मांगा। अदालत ने सरकार को मजिस्ट्रेट जांच पर स्पष्ट जवाब देने का निर्देश दिया।
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने हिरासत में हुई मौतों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बड़ा निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
Key Highlights
झारखंड हाईकोर्ट ने हिरासत में मौत मामले पर सरकार से जवाब मांगा
गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
2018 से अब तक हुई हिरासत में मौतों का पूरा ब्योरा मांगा गया
याचिकाकर्ता ने सभी मौतों की न्यायिक जांच की मांग की
विधानसभा दस्तावेज के अनुसार 2018-21 में 166 मौतें दर्ज
हाईकोर्ट ने कहा है कि हलफनामे में वर्ष 2018 से अब तक हिरासत में हुई सभी मौतों का पूरा विवरण शामिल किया जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाए कि क्या इन मामलों की सूचना जांच के लिए संबंधित मजिस्ट्रेट को दी गई थी।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता मो. शादाब अंसारी ने अदालत से गुहार लगाई कि 2018 से अब तक हिरासत में हुई हर मौत की न्यायिक जांच कराई जाए। उनका कहना था कि सीआरपीसी और बीएनएसएस के तहत हिरासत में हुई मौतों की मजिस्ट्रेट से जांच कराना अनिवार्य है।
उन्होंने विधानसभा में दिए गए सरकारी दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा कि 2018 से 2021 के बीच झारखंड में 166 लोगों की मौत हिरासत में हुई है। ऐसे में सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कराना जरूरी है ताकि सच्चाई सामने आ सके।
हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 25 सितंबर तय की है।
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