घाटशिला उपचुनाव में झामुमो ने रणनीति बदली। पूर्व मंत्री स्व. रामदास सोरेन की पत्नी सूरजमणि सोरेन को मिल सकता है टिकट। उम्मीदवार का नाम 15 अक्टूबर तक तय होगा।
Jharkhand Politics रांची: घाटशिला उपचुनाव (Ghatsila Bypoll) को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी अब पूर्व शिक्षा मंत्री स्व. रामदास सोरेन की पत्नी सूरजमणि सोरेन को उम्मीदवार बना सकती है। पार्टी के अंदरखाने में इस पर गहन चर्चा चल रही है।
पहले स्व. रामदास सोरेन के बड़े बेटे सोमेश चंद्र सोरेन दावेदारी में थे। परिवार के कुछ सदस्यों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर टिकट को लेकर चर्चा भी की थी। लेकिन अब पार्टी बदलते राजनीतिक समीकरण को देखते हुए सहानुभूति फैक्टर पर जोर दे रही है।
Key Highlights:
घाटशिला उपचुनाव में झामुमो की रणनीति में बड़ा बदलाव
स्व. रामदास सोरेन की पत्नी सूरजमणि सोरेन को टिकट मिलने की संभावना
बेटे सोमेश चंद्र सोरेन ने मां की उम्मीदवारी का समर्थन किया
झामुमो 15 अक्टूबर तक घोषित करेगा उम्मीदवार का नाम
पार्टी सहानुभूति लहर के सहारे जीत की रणनीति पर काम कर रही है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लेंगे अंतिम फैसला
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झामुमो सूत्रों के मुताबिक, 12 अक्टूबर तक परिवार के भीतर सहमति बनाई जाएगी और 15 अक्टूबर तक उम्मीदवार का नाम घोषित किया जाएगा। सोमेश सोरेन ने भी बयान दिया है कि “अगर मां को टिकट मिलता है, तो कोई परेशानी नहीं है।”
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पार्टी का मानना है कि सूरजमणि सोरेन न केवल सहानुभूति की लहर का लाभ उठा सकती हैं, बल्कि स्व. रामदास की विरासत को भी मजबूती से आगे बढ़ा सकती हैं। वहीं, स्व. रामदास के भतीजे विक्टर सोरेन, जो सांगठनिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं, भी पार्टी के निर्णय का सम्मान कर सकते हैं।
छह अक्टूबर को विक्टर सोरेन ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर स्वर्गीय रामदास सोरेन के साथ तस्वीर साझा करते हुए लिखा था —
“हमें दुख में नहीं डूबना है, बल्कि स्वर्गीय रामदास जी की ऊर्जा को अपनी शक्ति बनाना है।”
उन्होंने मुख्यमंत्री को भी टैग किया था, जिसे हेमंत सोरेन ने 8 अक्टूबर को रिपोस्ट किया। इस पोस्ट के बाद से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।
झामुमो अब घाटशिला सीट को सहानुभूति और संगठनात्मक मजबूती के मिश्रण के सहारे जीतने की रणनीति बना रही है।
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