Ranchi- भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से संबंधित दल बदल मामले में आज विधानसभा के कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान विधान सभा अध्यक्ष रविन्द्रनाथ महतो ने कहा कि पूर्व विधायक राजकुमार यादव और अन्य के द्वारा जो विषय लाया गया है, उसके आधार पर आठ बिन्दुओं को तय किया गया है, सभी संबंधित पक्ष इस मामले में बारी-बारी से इन बिन्दुओं पर अपना-अपना पक्ष रखेंगे. बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि इस विषय को लेकर आज दो पिटीशन दाखिल किया है, साथ ही प्रिमिलरी ऑब्जेक्शन पर कोई आर्डर नहीं आया है.
तिहाई बहुमत के साथ ही हो सकता है विलय
जबकि राजकुमार यादव ने कहा कि दसवीं अनुसूची के अनुसार दो तिहाई बहुमत के साथ ही किसी दल का विलय हो सकता है, ये दसवीं अनुसूची का उल्लंघन है, झारखण्ड की जनता के साथ धोखा हुआ है.
बाबूलाल मरांडी ने सदन से बाहर क्या किया उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि विधान सभा के अन्दर दसवीं अनुसूची का उल्लंघन हुआ है. इनके ऊपर दल बदल का मामला बनता है, इसीलिए इनकी सदस्यता रद्द की जाए.
अधिवक्ता एस.बी. गडोडिया ने कहा कि अगर कोई इस मामले में कोई आवेदन आता है और फिर उसे वापस ले लिया जाता है, तब भी उस मामले में सुनवाई चल सकती है. यह दावा भी सही नहीं है कि देर से कोर्ट में लाये जाने के कारण यह मामला सुनवाई के योग्य नहीं है.
बाबूलाल मरांडी का भाजपा में विलय सही नहीं है. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का यह दावा भी गलत है कि चुनाव आयोग के द्वारा इनके विलय को मान्यता दी गयी है. मर्ज करने की अनुमति देने का अधिकार सिर्फ विधानसभा स्पीकर को ही है. इस मामले पर बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता आर. एन. सहाय ने कहा प्रिमिलरी ऑब्जेक्शन पर जब तक ऑर्डर नहीं आ जाता, तब तक इस मामले में बहस नहीं हो सकती.