रांची: झारखंड विधानसभा चुनावों में अब मानो ‘राजनीति की चौसर’ सज चुकी है, जिसमें हर चाल पर सत्ता की कड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के गर्मागर्म भाषणों से स्पष्ट है कि ये चुनावी रण की गूंज अब सिर्फ माइक्रोफोन तक सीमित नहीं रहेगी। छठ के बाद जब एनडीए और ‘इंडिया’ गठबंधन के सुपरस्टार प्रचारक फिर से मैदान में उतरेंगे, तो हर सभा और रैली में जनता का मन जीतने की होड़ मच जाएगी।
इस बार झारखंड की चुनावी बिसात पर प्रधानमंत्री मोदी ने रांची और चंदनकियारी में अपनी उपस्थिति दर्ज करने की ठानी है। रांची की सभा से वे खिजरी, हटिया, कांके, मांडर समेत कई क्षेत्रों को साधने की कोशिश करेंगे। वहीं, चंदनकियारी की सभा खास होने वाली है, क्योंकि पहली बार किसी प्रधानमंत्री का यहां आना हो रहा है। अमर बाउरी जैसे विधायक, जो सालों से इस सीट को संभाले हुए हैं, अब एंटी-इनकंबेंसी की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यह सभा उनकी किस्मत का फैसला करेगी या उनके पक्ष में जनता की सहानुभूति जुटाएगी।
राहुल गांधी और अमित शाह भी ‘चुनावी जंग’ में कोई कसर छोड़ने वाले नहीं हैं। राहुल 8 नवंबर को सिमडेगा, लोहरदगा, और जमशेदपुर में अपने लहजे से जनता को रिझाने का प्रयास करेंगे। वहीं, शाह के छतरपुर, हजारीबाग, और पोटका में होने वाली सभाओं से भाजपा प्रत्याशियों को अपनी ‘धरती’ पर मजबूत होने का मौका मिलेगा। दोनों ओर से जनता को लुभाने के लिए हर ‘तुरुप का पत्ता’ खेला जा रहा है, और चुनावी मौसम की ये सरगर्मी लगातार बढ़ रही है।
इस चुनाव में एक दिलचस्प मोड़ तब आएगा जब आरजेडी नेता तेजस्वी यादव देवघर और गोड्डा जैसे क्षेत्रों में जनता से संवाद करेंगे। बिहार की सीमाओं से सटे झारखंड के इलाकों में राजद का ‘पुराना हाथ’ है, और यह देखना रोचक होगा कि क्या तेजस्वी अपने ‘चिर-परिचित अंदाज’ से राजद के पक्ष में हवा बना पाएंगे। उनके साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी के दौरे भी गठबंधन के रंग को गाढ़ा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
अब देखना ये होगा कि इन बड़े नेताओं की ‘शब्दबाणों की बरसात’ झारखंड की राजनीति की दिशा तय करेगी या जनता फिर किसी नए विकल्प की तलाश में है।