गिरिडीहः जिले भर में काली पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है। शहर के मकतपुर स्थित बंगला स्कूल में मां काली की प्रतिमा बैठाई गई है। दीपावली यानि कार्तिक अमावस्या की रात होने वाले इस पूजा के दौरान सैकड़ों भक्तों की भीड़ जमी थी। बताया जाता है कि यहां पिछले 25-26 वर्षों से पूजा होती आ रही है। कार्तिक अमावस्या की शाम से ही भक्तों का आना शुरु हो जाता है। देर रात तक भक्तों द्वारा मां काली की पूजा की जाती है। इसके साथ ही जिले के विभिन्न प्रखंडों में भी काली पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है।
आखिर कब से काली पूजा की हुई शुरुआत
बताया जाता है कि रक्तबीज नामक राक्षस का वध करने के लिए मां काली ने उसका रक्तपान कर लिया था। इसके बाद रक्तबीज का अंत हो गया था। जब राक्षसो का वध करने के बाद भी मां काली का क्रोध शांत नहीं हुआ तो ऐसा लगने लगा कि सृष्टि का अंत हो जाएगा। ऐसे में देवी को शांत करने के लिए भगवान शिव जमीन पर लेट गए।
वहीं माता का पैर जैसे ही महादेव पर पड़ी तो मां काली की जीभ बाहर निकल आई और माता शांत हो गई। तब से ही काली पूजा की शुरुआत हुई और लोग बड़े ही धूमधाम से काली पूजा मनाते हैं।