बच्चों की काउंसलिंग कर शिक्षा का अलख जगा रहे खाकी वाले गुरू जी, गरीब बच्चों को पढ़ा बना रहे शिक्षित

जमशेदपुरः टेल्को थाना में पदस्थिप्त एक ऐसा अफसर जो सरकारी स्कूल के बच्चों के बीच खाकी वाले गुरू जी के नाम से काफी लोकप्रिय है. इस खाकी वाले गुरू जी से प्रतियोगिता में तैयारी करने की तरकीब जानने के लिए विद्यार्थी उनके पास आते हैं. शहर के कई स्कूल में यह काउंसलिंग का कार्य भी करते हैं. करियर को लेकर इनकी ऊंची सोच थी. सुनहरे सपने मन में हिलोर मार रहे थे. यह सपना तब सच होता दिखाई पड़ा जब इसके लिए बेहतरीन रास्ते पर चलने का मौका मिला. खूब मेहनत की पर सफलता चंद कदमों से फिसलते रही. यूपीएससी समेत चार राज्यों के लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचे पर सफल नहीं हो सके. असफलता से बड़ी सीख मिली और बच्चों में अपने सपने को फिर से उड़ान देने में जुट गए. यहां बात हो रही है झारखंड पुलिस सेवा में तैनात मनोज मलिक की वर्तमान में जमशेदपुर के टेल्को के सर्किल ऑफिसर के रूप में तैनात है.

झारखंड पुलिस सेवा में तैनात मनोज मलिक

गरीब बच्चों को पढ़ा बना रहे शिक्षित

मनोज मालिक नियमित तौर पर सरकारी स्कूलों में क्लास लेते हैं. मनोज मलिक का पूरा फोकस आर्थिक दृष्टि से उन कमजोर बच्चों को आगे बढ़ाने पर है, जिनमें जोश और जज्बा तो है पर ऊंची उड़ान भरने का संसाधन नहीं. यही कारण है कि वे सरकारी स्कूल के बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है. प्रतियोगिता में तैयारी करने के तरकीब जानने के लिए विद्यार्थी उनके पास खूब आते हैं. इतना ही नहीं शहर के कई स्कूलों में काउंसलिंग कार्यक्रम का आयोजन भी यह करते हैं. साथ ही उन्हें हर संभव मदद भी करते हैं. मूल रूप से बिहार के सुपौल के रहने वाले मनोज मलिक इससे पहले पलामू बोकारो और देवघर में भी तैनात रहे हैं वहां स्कूल में क्लास लेने और काउंसलिंग का इनका काम चल रहा था अपने व्यस्ततम समय से कुछ समय निकालकर वह संघ लोक सेवा आयोग समेत अन्य राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी के टिप्स भी देते हैं.

मनोज मलिक 1989 और 1990 में यूपीएससी उत्तर प्रदेश बिहार और मध्य प्रदेश की सिविल परीक्षा में साक्षात्कार तक पहुंचे थे. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. 1994 में बिहार पुलिस में उन्हें नौकरी मिली और झारखंड बनने के बाद उन्होंने यहां का कैडर चुना. सुपौल के गांव से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पटना कॉलेज पटना से इतिहास की डिग्री हासिल की और पटना विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई की.

मनोज मलिक के मार्गदर्शन पर कई विद्यार्थी ने सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाई है. आधा दर्जन डिप्टी कलेक्टर भी बने है. मलिक कहते हैं कि इन विद्यार्थियों को देखकर उन्हें अपने सपने पूरा होने का एहसास होता है. पुलिसिंग के काउंसलिंग के इस जुनून की विभाग के वरीय अधिकारियों ने भी सराहना की. मनोज के पिता गांव के सरकारी स्कूल में हेड मास्टर थे. उनके घर में शिक्षा का माहौल शुरू से ही रहा है. ऐसे में उनके दो बड़े भाई आईपीएस बने तो, उन्हें भी यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. पटना में पढ़ाई खत्म होने के बाद कोचिंग सेंटरों में भी में पढ़ाते रहें. 1994 में जब बिहार पुलिस की नौकरी मिली तो सरकारी स्कूल के बच्चों की काउंसलिंग शुरू कर दी.

रिपोर्टः लाला जबीन

 

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