रांची : करवा चौथ आज है. आज का दिन पति-पत्नी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है.
यह व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है.
इस दिन सुहागिन महिलाएं सुख, सौभाग्य, पति की लंबी उम्र और उनके
उत्तम स्वास्थ्य के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं.
इसके बाद चंद्रमा देखकर अर्घ्य दिया जाता है और पति के हाथों जल पीकर व्रत का पारण करते हैं.
आइए जानते हैं करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
करवा चौथ 2022 मुहूर्त (Karwa Chauth 2022 Moon Time)
- कार्तिक कृष्ण चतुर्थि तिथि आरंभ – 13 अक्टूबर 2022, सुबह 01.59
- कार्तिक कृष्ण चतुर्थि तिथि समाप्त – 13 अक्टूबर 2022, सुबह 03.08
- चांद निकलने का समय – 8.19 PM (13 अक्टूबर 2022)
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 06.01 PM – 07.15 PM (13 अक्टूबर 2022)
- करवा चौथ व्रत समय – 06.25 AM – 08.19 PM (13 अक्टूबर 2022)
व्रत के मुहूर्त (Karwa Chauth 2022 muhurat)
- ब्रह्म मुहूर्त – 04:46 AM – 05:36 AM (सरगी खाने का मुहूर्त)
- अभिजित मुहूर्त – 11:50 AM – 12:36 PM
- अमृत काल – 04:08 PM – 05:50 PM
- गोधूलि मुहूर्त – 05:49 PM – 06:13 PM
शुभ योग (Karwa Chauth 2022 shubh yoga)
3 अबूझ योग बन रहे हैं जिसमें सुहागिनों को शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- सिद्धि योग – 12 अक्टूबर 2022, 02.21 PM – 13 अक्टूबर 2022, 01.55 PM
- रोहिणी नक्षत्र – 13 अक्टूबर 2022, 06.41 PM – 14 अक्टूबर 2022, 08.47 PM
- कृत्तिका नक्षत्र – 12 बजकर 2022, 05.10 PM – 13 अक्टूबर 2022, 06.41 PM
करवा चौथ पूजा विधिकरवा चौथ के दिन प्रात: काल स्नान कर नए या साफ वस्त्र पहनें.
ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व दिशा की ओर मुख करके सरगी का सेवन करें.शंकर-पार्वती की तस्वीर
के समक्ष ये मंत्र बोलते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें – मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि
सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्येशाम को शुभ मुहूर्त में तुलसी में एक दीप प्रज्वलित करें.
अब जहां पूजा करनी है उस जगह को साफ कर गंगाजल छिड़कें16 श्रृंगार कर पूर्व दिशा में
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और करवा माता की तस्वीर और गणेश जी को स्थापित करें.
चौकी पर मिट्टी का टोटी वाला करवा रखें उसमें साबुत अनाज गेंहूं, खील, बताशे, सिक्का
डालें और ऊपर से ढक्कन लगाकर उस पर दिपक लगाएं. करवे की टोटी में सींक लगाना चाहिए,
यह शक्ति का प्रतीक है.अब सर्वप्रथम गणेश जी को रोली, मौली, कुमकुम, सिंदूर, अक्षत, फूल अर्पित करें.
साथ ही कलश की पूजा करें इसमें ग्रह, नक्षत्र और 33 करोड़ देवी देवता का वास होता है.
शिव -पार्वती और कार्तिकेय की भी उपासना करें.
गौरी को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.
इस दौरान ये मंत्र बोलें- नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां
नारीणां हरवल्लभे॥करवा माता की विधिवत षोडोपचार से पूजा करें और सुखी वैवाहिक जीवन,
पति की लंबी आयु की कामना करें. करवे के पास आठ पूरियों की अठावरी, हलवा रखें.फल,
मिष्ठान, धूप, दीप लगाकर करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें और फिर आरती कर दें.चांद निकलने
पर एक करवा में जल और दूध डालकर चंद्रदेव को अर्घ्य दें. चांद को जल चढ़ाते वक्त ये
मंत्र बोलें – ज्योत्सनापते नमस्तुभ्यं नमस्ते ज्योतिषामपतेः नमस्ते रोहिणिकांतं अर्ध्यं मे प्रतिग्रह्यताम।
।अब छलनी में दीपक लगाकर चांद का दीदार करें और फिर पति को देखें. इसके बाद पति
के हाथों जल पीकर व्रत का पारण करें.करवा चौथ की पूजा में जो करवा रखा जाता है उसे
घर में सुहागिन महिलाओं को भेंट उनसे आशीर्वाद लें.या फिर किसी ब्राह्मणी को भी दे सकती हैं.
करवा देते वक्त ये मंत्र बोलें – करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः॥