झारखंड में भी होगा लालू राबड़ी प्रयोग, कल्पना सोरेन के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा तेज


Ranchi– झारखंड में तेजी से बदलते राजनीतिक हालात के बीच

हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा तेज हो गयी
इस चर्चा को बल मिला है भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के एक ट्वीट से.

निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीट में लिखा है कि

झारखंड में भाभी जी की ताजपोशी की तैयारी चल रही है,

परिवारवादी पार्टी का बेहतरीन नुस्खा गरीब के लिए.

राजनीतिक सरगर्मी के बीच ही शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

(CM Hemant Soren) की अध्यक्षता में यूपीए विधायकों की बैठक सीएम हाउस में बुलायी गयी है.
यहां बतला दें कि आज यूपीए के विधायकों की बैठक में

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में सुखाड़ की स्थिति पर चर्चा की,

कल्पना सोरन या किसी और नाम की कोई चर्चा नहीं हुई.

लेकिन बावजूद इसके इस प्रकार की चर्चाओं पर विराम नहीं लगा है.

लेकिन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में सीएम हेमंत सोरेन और

उनके भाई बसंत सोरेन पर लगे आरोपों पर भारत निर्वाचन आयोग में सुनवाई पूरी हो चुकी है

और आयोग की ओर से कभी भी अपना फैसला सुनाया जा सकता है,

ऐसी स्थिति में सीएम हेमंत सोरेन पूरी तरह से अलर्ट हैं.

क्यों शुरु हुई कल्पना सोरेन के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा

हालांकि एक चर्चा जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन के भी है,

लेकिन शिबू सोरेन के खिलाफ भी दिल्ली लोकपाल में 25 अगस्त को सुनवाई होने वाली है.

कुछ राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री की भाभी और जामा विधायक सीता सोरेन भी चर्चा है.

इसके साथ ही कुछ लोग सोरेन परिवार से बाहर जाकर चंपई सोरेन और

जगरनाथ महतो के नाम पर भी विचार होने का दावा कर रहें है.
लेकिन यह सब कुछ चुनाव आयोग के फैसले पर निर्भर करता है.

वैसे झामुमो की ओर से दावा किया जा रहा है कि

यह मामला ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में नहीं आता,

और यह सारे दावे महज अफवाह है.
यहां यह भी बतला दें कि लगभग 25 वर्ष पहले इसी तरह की परिस्थिति में

लालू यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था,

घर गृहस्थी संभालने से मुख्यमंत्री तक सफर

लेकिन यहां यह भी ध्यान रहे कि जहां राबड़ी देवी एक गृहस्थी संभालने वाली महिला थीं,

वहीं कल्पना सोरेन एक पढ़ी लिखी महिला है.

साथ ही राबड़ी देवी ने लालू यादव की अनुपस्थिति में बड़े ही कायदे के सरकार,

पार्टी और संगठन को बचा लिया था .

आरोप चाहे जो हो लेकिन राबड़ी देवी ने अपनी काबिलियत साबित की थी.

इस परिस्थिति में यदि कल्पना सोरेन एक बार राज्य की बागडोर संभालती हैं तो

यह झारखंड की राजनीति के लिए एक नया प्रयोग होगा.

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