Ranchi- जहां एक ओर बेरमो विधायक कुमार जयमंगल सिंह ने मगही, भोजपुरी और अंगिका को स्थानीय भाषा की श्रेणी में शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बधाई दी है, वहीं राजधानी रांची के तेतर टोली का सरना मैदान में आदिवासी-मूलवासी संगठनों ने सरकार को आदिवासी-मूलवासी और झारखंड आन्दोलन के शहीदों के सपने के अनुरुप स्थानीयता और नियोजन नीति बनाने चेतावनी दी है.
आदिवासी-मूलवासी संगठनों ने साफ कर दिया है कि किसी भी हालत में मगही, भोजपुरी, अंगिका और मैथिली को स्थानीय भाषा के रुप में स्वीकार नहीं किया जाएगा.
सयुंक्त मोर्चा के संयोजक राजू महतो ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान से कम कुछ भी मजूंर नहीं होगा और इसके अनुरुप ही नियोजन और स्थानीय नीति बनानी होगी. अलग झारखंड राज्य के लिए जिन लोगों ने अपनी कुर्बानी दी, उनके अरमानों के साथ समझौता नहीं करने नहीं दिया जाएगा और तब ही आदिवासी-मूलवासियों की भाषा और संस्कृति सुरक्षित रहेगी. राजू महतो ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आदिवासी-मूलवासियों की मांगे नहीं मानी गयी तो एक महारैली निकाल सरकार को आदिवासी-मूलवासियों का ताकत का एहसास करवाया जाएगा.
रणधीर वर्मा चौक पर झारखंडी भाषा संघर्ष समिति का मुंडन कार्यक्रम
इस बीच झमुमो के स्थापना दिवस के मौके पर झारखंडी भाषा संघर्ष समिति ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर प्रदर्शन किया. सैकड़ों की संख्या में झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केबिनेट मंत्रियों और विधायक सांसदों की शव यात्रा निकाल कर उनका मुंडन कराया गया.
झारखंड भाषा संघर्ष समिति के सदस्य हीरालाल महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्थायीय विधायक मथुरा महतो पर जमकर भड़ास निकाला और भोजपुरी, मगही अंगिका को स्थानीय भाषा से हटाने, स्थानीयता का आधार 1932 का खतियान करने की चेतावनी दी.
रिपोर्ट- मनोज, प्रतीक, धनबाद
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