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सहरसा : बिहार के सहरसा जिले में गो माता की आरती और गोशाला देखकर आप हैरान हो जाएंगे. जिले के सत्तर कटैया प्रखंड के पदमपुर गांव में लगभग सैकड़ों गो माता की आरती और पूजा की जाती है. मालूम हो की बिहार का यह पहला जिला सहरसा है जहां सैकड़ों गो माता के लिए गोशाला संचालित की जाती है.
सनातन धर्म के अनुसार गाय की सेवा महान सेवा है. गाय कृष्ण भगवान का रूप माना जाता है, जबकि लक्ष्मी के रूप में गाय की पूजा की जाती है. गौ सेवा की तस्वीर अब तक आप मथुरा, वृंदावन आदि जगहों पर आप देखे होंगे, लेकिन बिहार के सहरसा जिला अन्तर्गत सत्तरकटैया स्थित पदमपुर में संचालित गौ सेवा देख कर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा.
गायों के रखे गये हैं अलग-अलग नाम
दरअसल में यह गौ सेवा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक आशुतोष जी महाराज के तत्वावधान में संचालित हो रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि सैकड़ों गाय का नाम भी रखा हुआ है. उनके भक्त द्वारा एक आवाज देने पर गाय उन स्थलों पर पहुंच जाता है. सभी गाय को खुले जगहों पर रखी जाती है. सभी गाय का प्रत्येक दिन भक्तजनों के द्वारा सुबह शाम आरती की जाती है. बिहार झारखंड में शायद यह पहला संस्थान होगा जहां तन-मन से इतने आशुतोष महाराज के भक्त गाय की सेवा दिन रात करते हैं.
गाय पालने से ये मिलता है फायदा
भारत में वैदिक परंपरा के अन्तर्गत गाय को माता का रूप दिया गया है. गाय की सेवा में बहुत लाभ है. गाय की सेवा से टेंशन, माइग्रेशन दूर हो जायेगा. अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर है तो वह लगातार गाय की रीढ़ पर हाथ चालएं तो उनकी यह बिमारी दूर हो जाएगी. वैज्ञानिक के अनुसार गाय के ए1 की दूध खराबी करती है लेकिन ए2 की दूध फायदेमंद है. हमारे यहां सभी देशी नस्ल की दूध गाय से मिलती है और गाय के गोबर से वैज्ञानिक फायदे मिलते हैं. गाय की घी से कई तरह के लाभ मिलते हैं.
कई जगहों पर की जाती है गौ सेवा
गौरतलब है कि दस वर्षों से गाय की सेवा यहां की जा रही है. सभी गाय को खुला रखा जाता है. आशुतोष जी महाराज के निर्देश पर यह गौ सेवा पंजाब के नूर महल, दिल्ली के दिव्य धाम एवं बिहार के पदमपुर में की जाती है. गाय सेवा से कई तरहों का लाभ मिलता है. गाय के गोबर से विशेष खाद तैयार कर सब्जी आदि भी उगाया जाता है.
रिपोर्ट : राजीब झा