जमशेदपुरः केंद्र के जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत अब विभिन्न भाषा में पुस्तके मिलेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री एवं शिक्षा मंत्री यह प्रयास कर रहे हैं कि ज्ञान विज्ञान तकनीकी मेडिकल के क्षेत्र में भी पुस्तक अपनी भाषा में प्रकाशित हो। इसके लिए बड़ी तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। अर्जुन मुंडा बहु भाषीय साहित्य संस्था ‘सहयोग’ एवं डॉ वीणा रानी श्रीवास्तव न्यास सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कदमा डीबीएमएस प्रेक्षागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि मैं इस कार्यक्रम में भाग ले रहा हूं। सहयोग बहुभाषी भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए काम कर रही है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करते हुए नवाचार को कैसे सामने लाए, इसकी जरूरत है।
बहुभाषी साहित्य क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता
अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। भारत की जनता अपने भाषा और संस्कृति को भूल रही है, जो दुखद है। इसलिए बहुभाषी साहित्य क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि जनजातीय क्षेत्र में 700 से अधिक समूह है। जिनके अलग भाषा अलग संस्कृति है। उन्होंने तमिलनाडु उड़ीसा बंगाल बिहार नेपाल आदि का जिक्र करते हुए बताया कि इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में जनजातीय समुदाय के लोग अपनी भाषा, अपनी संस्कृति को जीते हैं। इसी तरह बड़ी संख्या में अलग-अलग बोली भाषा एवं विविधता और संस्कृतियों का समावेश है हमारे देश में। अपने जीवन पद्धति को आधार बनाकर यह लोग चलते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने क्षेत्रीय भाषा को लेकर भारतीय विविधता को कैसे मजबूत करें, यह हम सभी लोग जानते हैं।
पुस्तक का हुआ लोकार्पण
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ मीरा मुंडा ने कहा कि मेरा जन्म एक मुंडा परिवार में हुआ। जहां अपनी संस्कृति और परंपरा को काफी प्रेम से निभाया जाता है। सहयोग संस्था विभिन्न मातृभाषा का समूह है। लोग अपनी भाषा संस्कृति को भूलते जाते हैं। अपनी संस्कृति से कटना दुखद है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक जॉइंट फैमिली में रहते हुए अपनी पढ़ाई को पूरी की और अब हमने अपना शोध भी पूरा किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभिन्न प्रतियोगिता में विजय प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। पुस्तक का भी लोकार्पण किया गया।