रांची: झारखंड के विश्वविद्यालयों में पीएचडी में नामांकन को लेकर छात्रों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है। राज्यपाल सह कुलाधिपति रमेश बैस द्वारा हाल ही में कुलपतियों की बैठक के बाद झारखंड में होने वाली पीएचडी प्रवेश परीक्षा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। इस निर्णय से रांची विश्वविद्यालय समेत अन्य विश्वविद्यालयों में आवेदन कर चुके 2374 छात्र अनिश्चितता में फंस गए हैं।
इन छात्रों ने करीब सात महीने पहले प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन किया था और प्रत्येक ने ₹2000 की फीस भी जमा की थी। कुल मिलाकर विश्वविद्यालय के पास लगभग ₹47.48 लाख की राशि जमा हो चुकी है। अब जबकि परीक्षा रद्द हो गई है, छात्रों को न तो कोई स्पष्ट दिशा मिली है और न ही फीस वापसी को लेकर कोई आधिकारिक निर्णय आया है।
अब केवल UGC-NET से होगा प्रवेश
नई व्यवस्था के अनुसार, अब झारखंड के विश्वविद्यालयों में पीएचडी में दाखिला UGC-NET जेआरएफ या यूजीसी द्वारा आयोजित पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर ही संभव होगा। यानी इनमें से किसी एक में सफल हुए अभ्यर्थी को ही प्रवेश मिल सकेगा। यह निर्णय यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिया गया है।
JPSC की निष्क्रियता पर उठे सवाल
गौरतलब है कि इससे पहले राज्य सरकार ने झारखंड पात्रता परीक्षा (JET) आयोजित करने की जिम्मेदारी झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) को सौंपी थी। मई-जून 2024 में परीक्षा आयोजित करने की घोषणा भी की गई थी, लेकिन इसके बाद JPSC की ओर से कोई सूचना नहीं आई। इससे छात्रों में भारी निराशा फैल गई है और जेपीएससी की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
फीस वापसी पर अभी फैसला बाकी
इस संबंध में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के. सिंह ने कहा कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन देने वाले छात्रों की फीस वापसी पर निर्णय एग्जाम बोर्ड की अगली बैठक में लिया जाएगा। प्रस्ताव रखा जाएगा, लेकिन अंतिम निर्णय चर्चा के बाद ही होगा।
22 विषय, 463 सीटें और अब अधर में छात्र
बताया गया कि इस प्रवेश प्रक्रिया के तहत राज्य के विश्वविद्यालयों में कुल 22 विषयों के लिए 463 सीटों पर नामांकन होना था। लेकिन प्रवेश परीक्षा रद्द होने से पूरी प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लग गया है। छात्र कहते हैं कि यदि समय पर परीक्षा आयोजित हो जाती, तो यह स्थिति नहीं आती। अब कम से कम फीस तो तत्काल वापस की जानी चाहिए।
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