डिजिटल डेस्क : नई दिल्ली स्टेशन के भगदड़ हादसे में देवदूत बने कुलियों के चलते बची कई जानें…जो गिरा फिर उठ नहीं पाया। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बीते शनिवार को रात को महाकुंभ जाने के लिए प्रयागराज को जाने वाली ट्रेनों में चढ़ने के दौरान यात्रियों में मची भगदड़ के दौरान वहां सालों से काम कर रहे कुली हादसे के दौरान देवदूत बने। वर्ना हुए हादसे की विकरालता और ज्यादा भयावह होने का अंदेशा था।
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हुए हादसे में 18 लोगों की मौत की पुष्टि की गई जबकि 20 घायल हुए हैं। कुलियों ने बताया कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि जो लोग धक्का मुक्की में गिर गए वो उठ ही नहीं पाए।
सामने आए तथ्य के मुताबिक, हालात बेकाबू हुआ देख हादसे के दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मौजूद कुलियों ने तुरंत अंदर दाखिले होने के सभी रास्ते बंद किए, ताकी और लोग अंदर न आएं एवं भीड़ न बढ़े। उसके चलते काफी बचाव हो पाया और अंदर से घायलों को तुरंत बाहर निकालकर उपचार के लिए अस्पताल भेजवाया जा सका।
कुलियों ने हादसे के दौरान 15 लाशों को निकाला
हादसे के संबंध में रविवार को मीडिया के सामने आकर बीती रात राहत-बचाव में जुटे रहे कुलियों ने काफी चौंकाने वाले तथ्य बयां किए। बताया कि उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1981 से अब तक इतनी भीड़ कभी नहीं देखी थी। भगदड़ में लोग दब गए। हादसे के दौरान बिना किसी सरकारी निर्देश के अपने स्तर पर राहत -बचाव में जुटे कुलियों ने 15 लाशों को एंबुलेंस बुलाकर उसमें रखा।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ के दौरान मौजूद कुलियों ने बताया कि उनके साथी अंदर आने के लिए लाइन में थे तभी चीख-पुकार मच गई। उन्होंने थोड़ा अंदर आकर देखा तो हालात बेकाबू हो चुके थे। उसके बाद कुलियों ने रास्ते बंद किए, ताकी और लोग अंदर न आएं, भीड़ न बढ़े।
कुलियों के मुताबिक, अचानक ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदले गए, इसमें पब्लिक अचानक दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए भागने लगी. इस दौरान एस्कलेटर और सीढ़ियों पर गिर गए. जो जहां गिरा वहीं दब गया। जो गिर गए, वो दोबारा उठ नहीं पाए।
मंजर इतना खौफनाक और हृदयविदारक था कि लाशों को निकालने के बाद बीती रात राहत और बचाव कार्य करने वाले कुली खाना तक नहीं खा पाए। मीडिया के सामने ऑन कैमरा कुलियों ने बताया कि लाशों को देखने के बाद रात को खाना तक नहीं खाया गया। उन्होंने ऐसे मंजर अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं देखा था।
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भगदड़ हादसे के बाद कुलियों ने ही पुलिस और दमकल गाड़ियों को बुलाया
हादसे के संबंध में कुलियों के हवाले से सामने आए तथ्य के मुताबिक, प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ जाने के लिए लोगों की भीड़ स्टेशन के प्लेटफॉर्म 14, 15 और 16 पर पहुंची। लेकिन ओवर क्राउड की वजह से भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।
स्टेशन पर 44 साल से काम कर रहे कुलियों ने हादसे की आंखोंदेखी बयां करते हुए बताया कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि जो लोग धक्का मुक्की में गिर गए वो उठ ही नहीं पाए। भीड़ को रोकने के लिए कई कुली तुरंत स्टेशन के अंदर दाखिल होने वाले प्वाइंट पर जमा हो गए और भीतर दाखिल होने को आमादा भीड़ को जैसे-तैसे बाहर ही रोका ताकि भीतर दबे-कुचलों को तुरंत उपचार के लिए बाहर निकलवाया जा सके।
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कुलियों ने कम से कम 15 शवों को उठाकर एम्बुलेंस में डाला। हादसे के दौरान कुलियों की मानें तो प्लेटफॉर्म पर सिर्फ जूते और कपड़े थे। कुलियों ने ही इस भगदड़ हादसे के बारे पुलिस और दमकल को सूचना देकर उनकी गाड़ियों को बुलाया। मौके पर 3-4 एम्बुलेंस पहुंचीं और लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।
रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले कुली सुगन लाल मीणा ने बताया, ‘…मैं 1981 से कुली का काम कर रहा हूं, लेकिन मैंने पहले कभी ऐसी भीड़ नहीं देखी। प्रयागराज स्पेशल ट्रेन को प्लेटफॉर्म नंबर 12 से रवाना होना था, लेकिन इसे प्लेटफॉर्म नंबर 16 पर शिफ्ट कर दिया गया।
…जब प्लेटफॉर्म 12 पर इंतजार कर रही भीड़ और बाहर से इंतजार कर रही भीड़ प्लेटफॉर्म 16 पर पहुंचने की कोशिश कर रही थी, तो लोग आपस में टकराने लगे और एस्केलेटर और सीढ़ियों पर गिरने लगे। हालात इतने खराब थे कि जो लोग गिर गए वो दोबारा उठ नहीं पाए’।
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हादसे से पहले प्लेटफार्म नंबर 14 की ओर लपकी भीड़ तो मची भगदड़…
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, विशेष ट्रेन पकड़ने के लिए लपकी भीड़ की वजह से हादसा हुआ। बताया जा रहा है कि प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। ऐसे में भीड़ प्लेटफॉर्म पर बढ़ गई। प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेन पहले से लेट चल रही थी। उनकी भीड़ के अलावा अन्य लोगों की भीड़ रेलवे स्टेशन पर मौजूद थी।
उस दौरान एक विशेष ट्रेन की घोषणा हुई और सभी नई ट्रेन में सवार होने के लिए भागे। महज 15-20 मिनट के भीतर रेलवे स्टेशन पर भीड़ बढ़ गई। इस बीच प्रयागराज जाने के लिए एक विशेष ट्रेन का ऐलान किया गया। इसी दौरान भीड़ ट्रेन में सवार होने के लिए प्लेटफॉर्म नंबर-14 पर लपकी।
बताया जा रहा है कि प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों के रद्द होने के बाद प्लेटफाॅर्म नंबर 14 पर मौजूद हजारों यात्री बेचैन हो गए। इस बीच एक अन्य ट्रेन वहां से निकली तो धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस बीच प्लेटफार्म आने वाले श्रद्धालुओं का सिलसिला निरंतर जारी रहा।
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धक्का मुक्की से बचने के लिए कुछ लोगों ने तेजी से सीढि़यां चढ़ने का प्रयास किया, लेकिन वहां से आने वाली भीड़ के चलते वह ऐसा नहीं कर सके। परिणामस्वरूप कई लोग एक दूसरे पर चढ़ गए। इस दौरान उमड़ी भीड़ का अंदाजा न तो रेलवे अधिकारी लगा पाए और न ही आरपीएफ के अधिकारी।
लोगों की भारी भीड़ फुटओवर ब्रिज, सीढ़ियों और प्लेटफॉर्म पर जुटने लगी। इस दौरान धक्का-मुक्की के बीच भगदड़ मच गई और हादसा हो गया। पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि जब तक स्थिति को काबू किया गया तब तक कई की जान चली गई थी।
दूसरी ओर, रेलवे की तरफ से ट्रेन रद्द करने की बात से साफ इंकार किया जा रहा है। बल्कि कहा तो यह जा रहा है कि चार स्पेशल ट्रेन चलाई गई। घटना के बाद काफी देर तक इस मामले में रेलवे की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई।