मुज़फ़्फ़रपुर : शहीद खुदीराम बोस जेल में छठ पूजा के दौरान चर्चा में आए नाइजीरियन बंदी सोलोमोन अलीगिव्यू और युगवुम सिनाची ओनिया को अब छठी मैया का आशीर्वाद मिल गया है. दरअसल तीन साल से बिहार के जेल में बंद दोनों नाइजीरियन बंदी को हाइकोर्ट ने रिहा कर दिया है. विदेशी अधिनियम उल्लंघन मामले में जेल में बंद नाइजीरिया के युगवुम सिनाची ओनिया ने अपनी रिहाई के लिए मुज़फ़्फ़रपुर जेल में छठ पूजा किया था. पूजा करने के महज एक सप्ताह के अंदर उच्च न्यायालय ने दोनों कैदियों को रिहाई का आदेश दे दिया.
जेल से रिहा होने वाले नाइजीरिय बंदी सोलोमोन अलीग्वियू और युगवुम सिनाची ओनिया तीन साल पहले सीतामढ़ी में विदेशी अधिनियम उल्लंघन मामले में पकड़े गए थे. इसके बाद इन्हें कोर्ट के आदेश पर विदेशी अधिनियम के तहत सीतामढ़ी जेल में बंद कर दिया गया था. कुछ माह पूर्व दोनों को शिफ्ट करके मुजफ्फरपुर जेल भेजा गया था. यहां पर इस साल हुए छठ पर्व पर युगवुम सिनाची ओनिया ने जेल में ही छठ व्रत कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इस महापर्व के बाद हाईकोर्ट ने इन दोनों को रिहा करने का आदेश दिया.
कागज़ी कार्रवाई पूरी करने के बाद दोनों को जेल से रिहा किया गया. जेल से रिहा होने के बाद दोनों को दिल्ली दूतावास भेजा गया था लेकिन, दूतावास ने ये कहकर लौटा दिया गया कि विदेशी नागरिकों से जुड़े ऑफिस कोलकाता और लखनऊ में हैं. दोनों को वहीं जाने की सलाह दी गयी. शनिवार रात दोनों फिर मुजफ्फरपुर पहुंचे. अब यहां से इन दोनों को कोलकाता स्थित विदेशी नागरिक विभाग के कार्यालय भेजने की कवायद की जा रही है. सोलोमोन अलीग्वियु ने बताया कि वो नाइजीरिया में वेदर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, वहीं युगवुम सिनाची ओनिया खेती करते हैं और पॉल्ट्री फार्म चलाते हैं जिसमें चिकन और सुअर पालते थे. तीन साल पहले भटककर दोनों आ गए थे.
वही इस पूरे मामले में मानवाधिकार अधिवक्ता डॉ एसके झा ने बताया कि वर्ष 2019 में 14 मार्च को नेपाल से भारत आने के क्रम में सीतामढ़ी जिला के रुन्नीसैदपुर थाना पुलिस ने बस में जांच के दौरान पकड़ा गया था और उसके पास से वीजा नहीं मिला. जिसके बाद से सीतामढ़ी कोर्ट ने दोनों को 3 साल की सजा सुनाई. मुजफ्फरपुर केंद्रीय जेल में भेज दिया और वही सजा काट रहा है.
रिपोर्ट : विशाल
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