महुआ माजी को बिना कागज कंपनी ने दे दिया 30 लाख का लोन, निशिकांत दुबे ने किया ट्वीट

रांची : महुआ माजी को बिना कागज कंपनी ने दे दिया 30 लाख का लोन- गोड्डा से

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने देर रात एक ट्वीट कर झारखंड की राजनीति में एक नई चर्चा छेड़ दी है.

उन्होंने ट्वीट किया है कि जेएमएम की नई होने वाली राज्यसभा सदस्य महुआ माजी को

किसी एसएम माइनिंग कंपनी ने 30 लाख रुपए बिना किसी कागज के लोन दे दिया है.

भारत में झारखंड ही एक ऐसा राज्य है, जहां पैसे पेड़ पर उगते हैं.

निशिकांत दुबे ने इससे संबंधित कुछ दस्तावेज भी अपने ट्विटर हैंडल पर लगाया है.

ईडी जांच पर किया ट्वीट

निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ चल रहे मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी के अनुसंधान पर भी हर दिन सांसद निशिकांत दुबे का ट्वीट आ रहा है. अब उन्होंने एक नया ट्वीट किया है कि सूत्रों से उन्हें पता चला है कि प्रेम भइया को ईडी रोज बुलाकर उनके अच्छे दिमाग यानी झारखंड को भ्रष्टाचार में धकेलने की तरकीब को समझने का फैसला किया है.

JMM ने राज्यसभा चुनाव के लिए बनाया प्रत्याशी

डॉ महुआ माजी हिन्दी की वरिष्ठ साहित्यकार और पार्टी के महिला मोर्चा की केंद्रीय अध्यक्ष हैं जिन्हें राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी बनाया गया है. उन्हें राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के तौर पर उन्हें राज्यभर की महिलाओं से जुड़ने का मौका मिला और वह उनकी पीड़ा से भलीभांति वाकिफ हैं. पार्टी ने उनके काम पर भरोसा कर उन्हें टिकट दी है. वह झामुमो महिला इकाई की प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. झामुमो नेता ने पूर्व में रांची विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हार गई थीं.

बांग्लाभाषी होने के बावजूद हिन्दी में ही किया लेखन कार्य

डॉ महुआ माजी समाजशास्त्रत्त में स्नातकोत्तर और पीएचडी हैं. उन्होंने यूजीसी-नेट, में भी सफलता पाई थी. बांग्लाभाषी होने के बावजूद हिन्दी में ही लेखन कार्य किया. शुरुआती दौर में वे कविताएं लिखती थीं. बाद में कहानी और उपन्यास लेखन में आगे बढ़ीं. अपने पहले उपन्यास- मैं बोरिशाइल्ला से ही चर्चा में आ गई थीं. यह बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखी गई थी. उनका दूसरा उपन्यास- मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ भी चर्चित रहा, जो जादूगोड़ा में यूरेनियम खनन पर केंद्रित था. डॉ महुआ माजी की कहानियां- वागर्थ, हंस, नया ज्ञानोदय समेत हिन्दी की अन्य साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं. वर्तमान में वह अपने नए उपन्यास पर काम रही हैं. इसके अलावा एक नन-फिक्शन पर भी काम रही हैं, जो उनके राज्य महिला आयोग अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान के अनुभवों पर आधारित होगा.

रिपोर्ट : मदन सिंह

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