रांची : NITI AYOG MEETING – सीएम हेमंत सोरेन ने सियासी कारणों से आखिरी क्षणों में नीति आयोग की बैठक से बनाई दूरी ! झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नीति आयोग की बैठक में शामिल होने का ऐलान भी था, तैयारी भी थी लेकिन फिर भी वह नहीं पहुंचे। आखिरी वक्त में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली इस मीटिंग से बनाई गई उनकी दूरी सियासी गलियारों में चर्चा के केंद्र में है। हेमंत के अलावा 6 अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार किया है। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को लेकर चर्चा इसलिए है क्योंकि शनिवार सुबह तक उनके बैठक में पहुंचने की चर्चा थी, लेकिन जब मीटिंग शुरू हुई तो न तो हेमंत इसमें पहुंचे और न ही उनका कोई प्रतिनिधि।
आखिरी वक्त में नीति आयोग की बैठक से हेमंत सोरेन की दूरी चर्चा में
फिर सवाल उठा कि आखिरी वक्त में उन्होंने इस बैठक से खुद को क्यों दूर कर लिया ? माना जा रहा है कि झारखंड में पिछले 2 दिनों में सरकार और स्पीकर के 2 एक्शन से कांग्रेस में अंदरखाने नाराजगी है। पहला एक्शन मांडू विधायक से जुड़ा है। हजारीबाग के मांडू से भाजपा विधायक जेपी पटेल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में शामिल हो गए और भाजपा पटेल की सदस्यता रद्द करवाने के लिए स्पीकर के पास चली गई और दलबदल में केस दाखिल होने पर स्पीकर ने 1 महीने के भीतर ही पटेल की सदस्यता रद्द कर दी। कांग्रेस स्पीकर के इस फैसले से नाराज है। पार्टी का तर्क है कि आने वाले 2 महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं और पटेल की सदस्यता रद्द करने कका मामला सुनवाई के नाम पर टाला जा सकता था।
सरकारी फैसलों में रायशुमारी न होने से भी कांग्रेस में है नाराजगी
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इस मामले में सरकार और स्पीकर ने उससे सलाह मशविरा भी नहीं किया। पार्टी का यह भी कहना है कि जब बागियों पर कार्रवाई हुई तो लोहरदगा से कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे चमरा लिंडा की सदस्यता क्यों नहीं रद्द करवाई गई? लिंडा लोहरदगा से कांग्रेस के सुखदेव भगत के खिलाफ मैदान में उतरे थे। नाराजगी की दूसरी वजह मंत्री इरफान अंसारी के फैसले पर स्टे है। इरफान अंसारी ने ग्रामीण विभाग के तहत बीडीओ ट्रांसफर के आदेश दिए, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय से रोक दिया गया। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की स्थानीय इकाई झारखंड के डीजीपी बदलने से भी नाराज है और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि बड़े फैसले लेने से पहले रायशुमारी जरूरी है।
होने वाले विधानसभा से पहले स्टैंड लेना भी हेमंत के लिए था जरूरी
अब से 3 महीने बाद झारखंड में विधानसभा के चुनाव होने हैं। यहां पर मुख्य मुकाबला हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) गठबंधन का भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) से है। सीएम हेमंत सोरेन ने हाल ही में केंद्रीय बजट पर सवाल उठाया है और उनकी पार्टी भाजपा के विरोध में प्रचार चला रही है। अगर ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ सीएम हेमंत सोरेन नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होते तो इसका गलत प्रभाव पड़ सकता था। उनको झारखंड में ओडिशा जैसा खेल भी होने का डर सता रहा था। ओडिशा में भाजपा से करीबी होने का आरोप और स्थानीय राजनीति के दांवपेच ने ओडिशा में नवीन पटनायक की सत्ता हिला दी।
झारखंड समेत 7 राज्यों के सीएम ने नीति आयोग की बैठक का किया बहिष्कार
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को छोड़कर आईएनडीआईए गठबंधन के 6 मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की मीटिंग का बहिष्कार किया है। यह बहिष्कार दिल्ली में इंडिया गठबंधन के नेताओं की मीटिंग के बाद लिया गया। इनमें 3 कांग्रेस शासित (हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक) हैं। केरल के पी विजयन, तमिलनाडु के एमके स्टालिन और पंजाब के भगवंत मान ने भी मीटिंग का बायकॉट कर दिया है। कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी की पार्टी अकेले दम पर बंगाल की सत्ता में है, लेकिन झारखंड की स्थिति उलट है। हेमंत को यहां पर कांग्रेस की बैसाखी की जरूरत है। अगर हेमंत नीति आयोग की बैठक में जाते तो कांग्रेस हाईकमान भी उससे नाराज होता, जिसका असर झारखंड की राजनीति पर पड़ सकता था।

जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को घेरा
नीति आयोग की बैठक का कांग्रेस और विपक्षी मुख्यमंत्रियों द्वारा बहिष्कार करने पर जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यह वह संगठन है जो केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच धन आवंटन की समस्या को हल करता है। यह अधिकारों की रक्षा करता है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया है जो उनके राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। नीति आयोग की शासी परिषद की नौवीं बैठक में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से विकसित भारत 2047 दस्तावेज पर चर्चा करना है। नीति आयोग की शीर्ष संस्था शासी परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र-शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्री नीति आयोग के चेयरमैन हैं।