झारखंड के इस संसदीय सीट से नीतीश भारद्वाज ने जीता था चुनाव , जानें क्या है पूरा इतिहास

झारखंड के इस संसदीय सीट से नीतीश भारद्वाज ने जीता था चुनाव , जानें क्या है पूरा इतिहास

आज हम बात करेंगे जमशेदपुर संसदीय सीट की.

जमशेदपुर लोकसभा सीट पर भाजपा ने लंबे समय तक अपना परचम लहराया है और वर्तमान में भी इस सीट से भाजपा के विद्युत वरण महतो सांसद हैं. भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी विद्युत वरण महतो को ही टिकट दिया है.

लेकिन महागठबंधन की ओर से अब तक अन्य सीटों की तरह इस सीट पर भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है लेकिन अगर हम 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट पर महागठबंधन ने झामुमो को टिकट दिया था और झामुमो से वर्तमान मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन विद्युत वरण महतो के खिलाफ मैदान में थे.चंपाई सोरेन को विद्युत वरण महतो ने पछाड़ दिया था.

जमशेदपुर संसदीय सीट पर पहली बार नीतीश भारद्वाज ने भाजपा का खाता खोला और सबसे कम उम्र में जमशेदपुर के सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया . ये वहीं नीतीश भारद्वाज हैं जिन्होंने बी आर चोपड़ा के महाभारत में श्री कृष्ण का किरदार निभाया था. जिन्हें कृष्ण अवतार में लोगों ने काफी पसंद किया था. नीतीश भारद्वाज महज 34 साल की उम्र में सांसद बने थे.

जमशेदपुर लोकसभा में 6 विधानसभा की सीटें आती है. जिसमें बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर प. शामिल है. हालांकि जमशेदपुर संसदीय सीट की 6 विधानसभा में एक भी सीट भाजपा के पास नहीं है. यहां की विधानसभा सीटों पर झामुमो का दबदबा है. 4 सीट झामुमो के पास है ,1 सीट कांग्रेस और वहीं 1 सीट  निर्दलीय के कब्जे में है.

बहरागोड़ा से झामुमो के समीर मोहंती, घाटशिला से झामुमो के रामदास सोरेन, पोटका से झामुमो के संजीव सरदार, जुगसलाई से झामुमो के मंगल कालिंदी, जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय से सरयू राय और जमशेदपुर पश्चिमी से कांग्रेस के बन्ना गुप्ता विधायक हैं.

जमशेदपुर लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो 6 बार भाजपा ने जीत हासिल की है वहीं कांग्रेस ने 4 बार जीती है.

1957 के चुनाव में इस सीट पर सबसे पहले कांग्रेस ने जीत हासिल की और महिन्द्र कुमार घोष पहले सांसद बने.

1962 के चुनाव में उदयकर मिश्र ने भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के टिकट से जीत हासिल की.

वहीं 1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एससी प्रसाद जीते.

1971 में भी कांग्रेस ने अपनी जीत बरकरार रखी लेकिन इस बार  कांग्रेस से सरदार स्वर्ण सिंह सोखी ने जीत हासिल की.

1977 और 1980 के चुनाव में जनता पार्टी से रुद्र प्रताप सारंगी दो बार जीते.

1984 में कांग्रेस के गोपेश्वर यहां से सांसद बने.

1989 और 1991 में जमशेदपुर में झामुमो ने परचम लहराया और शैलेंद्र महतो दोनों बार चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे.

1996 के लोकसभा चुनाव में नीतीश भारद्वाज ने भाजपा की जीत का खाता खोला.

जिसके बाद अगले दो चुनाव में भाजपा ने ही इस सीट पर जीत दर्ज की और 1998 और 1999 में आभा महतो भाजपा के टिकट से जीती.

2004 के चुनाव में झामुमो के सुनील महतो जीते.

वहीं 2007 के लोकसभा चुनाव में सुमन महतो ने एक बार फिर झामुमो की जीत बरकरार रखी.

2009 में यहां से भाजपा की टिकट से अर्जुन मुंडा जीते.

जिसके दो साल बाद यानी 2011 में अर्जुन मुंडा को मुख्यमंत्री बनने के लिए सांसद के पद से इस्तीफा देना पड़ा. फिर जमशेदपुर में उपचुनाव हुए. साल 2011 में इस सीट पर झारखंड विकास मोर्चा से अजय कुमार सांसद बने.

जिसके  बाद 2014 और 2019 में विद्युत वरन महतो ने भाजपा से जीत हासिल की.

भाजपा ने तीसरी बार भी विद्युत वरण महतो को मौका दिया है. इस बार जमशेदपुर में जीत की हैट्रिक लगाना विद्युत वरण महतो के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि जमशेदपुर सीट के इतिहास में अब तक किसी भी उम्मीदवार ने लगातार तीन बार चुनाव नहीं जीता है. इसमें शैलेंद्र महतो और आभा महतो भी शामिल है.

अब 4 जून को ही पता चलेगा कि विद्युत वरण महतो लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर नया रिकॉर्ड बना पाते हैं या एक बार और यह सिद्ध हो जाएगा कि जमशेदपुर से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर पाना सचमुच टेड़ी खीर है….

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