अरे! वह तो जानवर था, हम तो इंसान हैं

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आदमखोर की मौत के बाद की पीड़ा

Bagaha-हम तो इंसान हैं-गोबर्धना थाना अंतर्गत बलुआ गांव में लम्बे अर्से के बाद आखिरकार सुरक्षा बलों को नौ ग्रामीणों को अपना निवाला बना चुके आदमखोर बाघ को ठिकाना लगाने में सफलता मिल ही गयी.  

आदमखोर को ठिकाना लगने की खबर के साथ ही  ग्रामीणों में खुशी और संतोष की लहर देखी गयी, लेकिन इसके साथ ही उनके अंदर एक बदले की  भावना भी काम कर रही थी. यही कारण है कि इस सफलता के बाद पर्यावरण प्रेमियों की आंखें गमगीन दिखी. इस आदमखोर की मौत के बाद वह बेहद निराश दिखें. लेकिन ग्रामीणों के गुस्से के आगे वह भी कहीं न कहीं असहज दिखें.

हम तो इंसान हैं, फिर भी एक जानवर की मौत पर यह जश्न

यहां बता दें कि आदमखोर की मौत के बाद कुछ ग्रामीणों के द्वारा उसका मूंछ नोचने की कोशिश की जा रही थी,

तब कई ग्रामीण उसका बाघ नोचने की कोशिश कर रहे थें. साथ ही कुछ ग्रामीण लाठी डंडे से प्रहार करने का अपनी बारी का इंतजार कर रहे थें. कई ग्रामीणों के द्वारा मृत आदमखोर के शरीर मे भाला घोंपने की कोशिश की जा रही थी. ग्रामीणों के गुस्से और आदमखोर के प्रति उनके नफरत को देखकर कोई कुछ बोलने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा था.

यहां बता दें कि यह आदमखोर जंगल से रास्ता भटक कर धीरे धीरे चलते हुए रियायसी इलाके में आकर गन्ने के खेत को अपना अड्डा बना चुका था. एक-एक कर इसने नौ ग्रामीणों को अपना निवाला बना चुका था. जिसके बाद इसे मार गिराने का फरमान सुना दिया गया.

सात घंटे के ऑपेरशन के बाद मिली सफलता

जिसके बाद शनिवार को 7 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन में उसका खात्मा कर दिया गया.

इसके पहले करीबन एक माह तक वन विभाग के 400

सुरक्षा कर्मियों के द्वारा उसका पीछा किया जाता रहा,

लेकिन उन्हे सफलता हाथ नहीं लगी.

लेकिन मार गिराने के 36 घंटे के अन्दर अन्दर तीन गोलियों से

इसका काम तमाम करने में सफलता मिल गयी.

उसकी मौत के बाद मरे हुए बाघ पर ग्रामीण हमलावर हो गयें.

हजारों की भीड़ उस पर टूट पड़ी.

इस दृश्य को देख डब्लूडब्ल्यूएफ के कमलेश मौर्या बेहद भावुक हो गयें,

उनकी जुबान लड़खड़ाने लगी, उन्होंने कहा कि अरे! वह तो जानवर था, हम तो इंसान हैं.

रिपोर्ट-अनिल

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