रांची: कांग्रेस और रामटहल चौधरी की यारी आने वाले समय में क्या परिणाम देगा यह आने वाला वक्त बताएगा लेकिन रामटहाल चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने के बाद कई सवाल उभरे हैं।
इन सवालों का जवाब ढूंढना कांग्रेस के लिए जरूरी है बिना इन सवालों के जवाब ढूंढे रांची लोकसभा क्षेत्र के लिए सही प्रत्याशी ढूंढने में कांग्रेस आलाकमान शायद सफल न हो पाए।
प्रत्याशी की घोषणा में लगातार हो रही देरी के कारण कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की आलोचना हो रही है लेकिन इसके बावजूद रांची लोकसभा क्षेत्र के लिए कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व गंभीर रूप से मंथन कर रहा है। यारी
कांग्रेस के पास वर्तमान में रांची लोकसभा सीट के लिए दो प्रत्याशी हैं जिनमें से एक का चुनाव होना है इन दो प्रत्याशियों में पहले प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय है जिन्होंने दो बार रांची लोकसभा सीट कांग्रेस के टिकट पर जीता है वहीं एक बार जनता दल के टिकट पर रांची लोकसभा सीट पर जीत हासिल की है उनका 35 साल का लम्बा इतिहास रांची लोक सभा क्षेत्र में रहा है तो दूसरे प्रत्याशी पांच बार के सांसद रामटहाल चौधरी है। यारी
इन दोनों प्रत्याशियों में कांग्रेस किसको रांची लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना प्रत्याशी घोषित करता है यह आने वाला समय ही बताएगा लेकिन कई सवाल हैं जिनका जवाब कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व खोज रहा है।
जैसे सुबोध कांत सहाय के 35 साल के लंबे राजनीतिक कैरियर के दौरान रांची लोकसभा क्षेत्र में उनके अपने कोर वॉटर रहे हैं जो लगातार उनका समर्थन करते रहे है बीते 20 साल के चुनाव परिणाम में यह साफ दिखा भी है, अगर कांग्रेस रांची से प्रत्याशी को बदलता है तो सुबोध कांत सहायक के यह समर्थक क्या करेंगे इस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
2004 से सुबोध कांत सहाय रांची लोकसभा क्षेत्र से जीत चुके हैं जिस में से दो बार उन्होंने राम टहल चौधरी को मात भी दी है. इस दौरान दोनों प्रत्याशियों के बीच रांची लोकसभा क्षेत्र में जब भी मुकाबला हुआ है तो उन दोनों के बीच मतों का अंतर लगभग एक लाख वोटों का रहा है।
दूसरी तरफ रामटहल चौधरी के भाजपा छोड़ने के बाद से उनका कोर वोटर बीजेपी के वर्तमान रांची के सांसद संजय सेठ की तरफ चला गया है पिछले चुनाव में रामटहल चौधरी निर्दलीय रूप से रांची लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़े थे लेकिन उनकी जमानत जब्त हो गई थी कांग्रेस में जाने के बाद रामटहल चौधरी का समर्थन कितने लोग करते है यह आने वाला वक्त ही बतायेगा.यारी
इस परिस्थिति में सुबोध कांत सहाय के बजाय कांग्रेस का आला कमान रामटहल चौधरी को मौका देता है या नहीं या आने वाला वक्त ही बताएगा.