मुजफ्फरपुर : हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले चेहल्लुम से एक दिन पूर्व सोमवर की रात आग मातम का आयोजन किया. यह आयोजन कमरा मोहल्ला स्थित अल्हाज नवाब मो० तक़ी ख़ाँ शिया वक़्फ़ स्टेट के मैदान में किया गया.
आग मातम से पहले होने वाली मजलिस को इमाम-ए-जुमा एवं वरिष्ठ शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद मोहम्मद काज़िम शबीब ने बताया कि कर्बला की जंग न्याय और अन्याय के बीच होने वाली एक ऐसी जंग है जिसे रोज़-ए-क़यामत तक नहीं भुलाया जा सकता है. हज़रत इमाम हुसैन ने विश्व के सबसे पहले आतंकवादी ज़ालिम बादशाह यज़ीद के अत्याचार अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाते हुए ना सिर्फ़ अपनी जान की कुर्बानी दी बल्कि अपने 6 माह के बच्चे अली असग़र सहित बहत्तर जान की कुर्बानियां देना बेहरत समझा. मगर यज़ीद जैसे ज़ालिम और आतंकी के आगे घुटने टेकना गवारा नहीं किया.
उन्होंने कहा कि इन आग के दहकते हुए शोलों को जो आप देख रहें हैं, इसपर से अभी हमारे बूढ़े और नौजवान और बच्चे नंगे पैर मातम करते हुए गुज़रे, यह इस बात की गवाही देता है की कर्बला के मैदान में अगर हम होते तो हम इमाम हुसैन पर अपनी जान कुर्बान कर देते. इमाम हुसैन के नौजवानों पर और हमारे बच्चे इमाम हुसैन के बच्चों पर अपनी जान को कुर्बान कर देते. नौजवान और बूढ़ों के साथ ही छोटे-छोटे बच्चों ने भी आग का मातम किया.