गिरिडीह: झारखंड अकादमिक काउंसिल (जैक) बोर्ड की 10वीं परीक्षा के पेपर लीक मामले में गिरिडीह पुलिस ने बुधवार को 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इन्हें 3 दिनों की रिमांड पर लिया है और अब इनसे पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों को गिरिडीह के न्यू बरगंडा स्थित एक मकान से पकड़ा गया था। पुलिस की जांच अब इस मामले में शामिल गिरोह के अन्य सदस्य तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
वहीं, कोडरमा के मरकच्चो से गिरफ्तार निजी स्कूल संचालक प्रशांत साहा उर्फ प्रिंस और एक छात्र को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले में कोडरमा के 12वीं के छात्र कमलेश कुमार ने पुलिस को बताया कि उसने अपनी प्रेमिका के लिए मजदूर बनकर प्रश्न पत्र चुराया था और उसे प्रेमिका को दिया। इसके बाद उसने उसे कोडरमा के एक सरकारी शिक्षक और कुछ कोचिंग संचालकों को बेचा। इसके एवज में उसे 25 हजार रुपए मिले। पुलिस के अनुसार, कमलेश के दोस्तों ने भी इस पेपर लीक मामले से मोटा मुनाफा कमाया, जिसमें मुकेश कुमार उर्फ धौनी ने 30 हजार, रोहित ने 60 हजार और अंशु ने 15 हजार रुपए कमाए थे।
कोडरमा और गिरिडीह के कोचिंग संचालकों ने पुलिस को जानकारी दी कि एक और मास्टरमाइंड इस मामले में शामिल है, जो धनबाद के किसी सरकारी कार्यालय में अनुबंध कर्मी है। पुलिस इस मास्टरमाइंड की तलाश में जुटी है।
पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि रोहित कुमार से प्राप्त प्रश्न पत्र के बाद पुलिस ने कई युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। रोहित के मोबाइल की जांच के दौरान 17 फरवरी को वायरल हुए प्रश्न पत्र के साक्ष्य मिले, जिससे मामले का खुलासा हुआ। पुलिस अब उस ठेकेदार को भी तलाश रही है, जिसने प्रश्न पत्र को चुराने के लिए मजदूर सप्लाई की थी, लेकिन वह ठेकेदार अब तक गायब है।
वहीं, गिरिडीह में प्रश्न पत्रों को रखने के मामले में प्रशासन की लापरवाही भी सामने आई है। जैक अध्यक्ष ने सभी जिलों को निर्देश दिया था कि प्रश्न पत्रों को सुरक्षित रखने के लिए वज्रगृह, कोषागार या बैंक का उपयोग किया जाए। लेकिन गिरिडीह में शहरी आजीविका केंद्र में एक स्ट्रांग रूम बनाया गया, जहां प्रश्न पत्र रखे गए थे। आजीविका केंद्र ऐसी जगह पर स्थित है, जहां ट्रक नहीं पहुंच सकते थे और प्रश्न पत्रों की ढुलाई के दौरान कोई वीडियोग्राफी नहीं कराई गई और न ही मजिस्ट्रेट की उपस्थिति सुनिश्चित की गई। इसके अलावा, केंद्र के पास सुरक्षा व्यवस्था भी न के बराबर थी, जिससे प्रश्न पत्रों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।