फुट ओवरब्रिज नहीं रहने पर रेलगाड़ी की चपेट में आये यात्री मुआवजा के हकदार

रांची:  कोर्ट के जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया है. अदालत ने आदेश में कहा है कि फुट ओवरब्रिज के अभाव में रेलवे ट्रैक पार करते समय ट्रेन की चपेट में आकर जान गंवाने वाले यात्री के परिवार मुआवजे के हकदार है.

परिजनों को आठ लाख रुपये मुआवजे का भुगतान किया जाये आवेदन दायर करने की तिथि अर्थात 13 मार्च 2018 से वसूलों की तारीख तक प्रतिशत ब्याज के साथ न्यायाधिकरण के पास राशि ह सप्ताह के अंदर जमा की जाये.

अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए सुरक्षित यात्रा के लिए सुविधाएं प्रदान करने के रेलवे के कानूनी दायित्व पर जोर देते हुए रेलवे दावा न्यायाधिकरण का फैसला निरस्त कर दिया.

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुरेश राम व अन्य की और से याचिका दायर कर रेलवे दावा न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी गयी थी.

न्यायाधिकरण ने मृतका के परिजनों को मुआवजा का आदेश देने से इनकार कर दिया था, न्यायाधिकरण ने कहा था कि महिला की मौत रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 123 के तहत परिभाषित अप्रिय घटना नहीं थी प्रार्थी का तर्क था कि यात्रियों को एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के

लिए रेलवे ट्रैक के पास कोई फुट ओवरब्रिज नहीं बनाया गया था और न ही प्रकाश की व्यवस्था थी. वर्ष 2018 में यह घटना तब हुई थी.

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