पटना : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के मीडिया एवं पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन पवन खेड़ा ने आज मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि साथियों, मैं आपको नहीं कहूंगा कि 62 हजार करोड़ में जीरो गिनए कितने होते हैं। क्योंकि अब वो दौर नहीं है कि आप अपने चैनल में या अखबार में इस तरह की कोई हैडलाइन लगा दें और आपकी नौकरी सुरक्षित रह जाए। तुरंत फोन आयेगा, या तो स्टोरी हट जाएगी या आप हट जाओगे।
अभी इसी हफ्ते एक राष्ट्रीय चैनल पर पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और भाजपा नेता के इस खुलासे को एक चैनल ने सुबह सुबह दिखा दिया था। दोपहर तक वो स्टोरी डिलीट हो गई और शाम तक वो चैनल भाजपा के पक्ष में फर्जी ओपिनियन पोल दिखाने लगा।

देश का मीडिया किस दबाव में काम करता है – पवन खेड़ा
पवन खेड़ा ने कहा कि हम जानते हैं कि देश का मीडिया किस दबाव में काम करता है, पीएमओ में एक मायावी हिरण है, जिसने देश के मीडिया का अपहरण कर लिया है। मीडिया जोश में अगर कोई स्टोरी चला भी दे तो जोशी जी उसको ठंडा कर देते हैं। लेकिन देश में और बिहार में आज आजाद पत्रकारों का एक बड़ा समूह खड़ा है, जो जनता के हित की बात को हर कीमत पर जनता तक लेकर जाता है। ये 62 हजार करोड़ के घोटाले की कहानी भी आज बिहार के घर घर तक पहुंच गई है।
भागलपुर के पीरपैंती में बेशकीमती 1050 एकड़ जमीन एक रुपए में अडानी के हवाले कर दी – कांग्रेस
उन्होंने कहा कि 15 सितंबर को पहली बार हमने इस बात का खुलासा किया था कि बिहार सरकार ने भागलपुर के पीरपैंती में बेशकीमती 1050 एकड़ जमीन एक रुपए में गौतम अडानी के हवाले कर दी। बिहार के कोयले और बिहार के जमीन से मुफ्त में बनी बिजली को राष्ट्रीय सेठ अडानी लगभग सात रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से बिहार को बेचेंगे। एक तरफ भाजपा मां के नाम पर बिहार बंद कर रही थी, दूसरी तरफ किसान की मां समान प्रिय जमीन को एक रुपए में अदानी को सरका रही थी। अब इस घोटाले पर खुद भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बड़ा खुलासा करके हमारी बात पर मोहर लगा दी है।
गौतम अडानी हर साल इस प्रॉजेक्ट से 25 हजार करोड़ कमाएंगे – खेड़ा
उन्होंने कहा है कि गौतम अडानी हर साल इस प्रॉजेक्ट से 25 हजार करोड़ कमाएंगे। अडानी को ये टेंडर दिलाने के लिए नियमों और कानूनों में केंद्र और राज्य स्तर पर तमाम तरह के बदलाव किए गए हैं। आरके सिंह साहब खुद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री रहे हैं, इसलिए उनकी बात में बहुत वजन है। उन्होंने तमाम तथ्यों के आधार पर अपनी बात रखी है। एक पेड़ मां के नाम लगाकर, पूरा जंगल अडानी के नाम करने वाली भाजपा ने अडानी को ये प्रोजेक्ट दिलवाने के लिए केंद्रीय कैबिनेट के माध्यम से SHAKTI नीति में ही बदलाव कर डाले।
इस साल मई से लेकर जुलाई तक मोदी और नीतीश सरकार ने बिहार के साथ ये बेइमानी का खेल खेला। पहले तो सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट को थर्मल में बदला, फिर बिना कोयले की व्यवस्था के टेंडर जारी किया गया, फिर पर्यावरण के मानकों में ढील दी गई, फिर इंजीनियरों और विशेषज्ञों के तमाम विरोधों के बावजूद ये टेंडर पास कर दिया गया। इसलिए तो हम कहते हैं कि सारी खुदाई एक तरफ, गौतम भाई एक तरफ। जब बात गौतम भाई की होती है तो मोदी सब नियम और कानूनों को ताक पर रख देते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा- भाजपा ने नीतीश का मुंह बंद करके रखा हुआ है
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि पिछले एक साल से भाजपा ने नीतीश का मुंह बंद करके रखा हुआ है और उनका हाथ पकड़ कर खाली फाइलों पर दस्तखत करवा लिए जाते हैं। फिर उन फाइलों पर भाजपा के नेता अपनी मर्जी के टेंडर और प्रोजेक्ट जारी करते हैं। बिहार में लूट और भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है।
इसी का परिणाम है कि कल पहले चरण की वोटिंग में बंपर वोटिंग से बिहार के सभी वर्गों ने अपना आक्रोश जाहिर कर दिया। रुझान दुसरे चरण में भी यही रहेगा, बिहार से भाजपा और जेडीयू की विदाई तय हो चुकी है। महागठबंधन की सरकार बनते ही बिजली के इस महाघोटाले की जांच शुरू होगी और बिहार के किसानों को उनका उचित हक अदा किया जाएगा।
मुख्य 10 प्रश्न जो ‘डबल इंजन सरकार’ को जनता के सामने स्पष्ट करने चाहिए
1. क्या ऊर्जा मंत्रालय,भारत सरकार ने बिहार सरकार को Feasibility Report संशोधित करने के निर्देश दिए थे, जिसके कारण सौर परियोजना को थर्मल प्रोजेक्ट में बदला गया?
2. क्या इस बदलाव से बिहार के Renewable Purchase Obligation (RPO) यानी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा?
3. बिहार सरकार ने बिना कोल लिंकेंज के टैरिफ आधारित बोली प्रक्रिया (TBCB) के तहत थर्मल पावर प्लांट का टेंडर SHAKTI नीति के प्रावधान B(iv) के तहत जारी किया; क्या यह केंद्र सरकार के दबाव में हुआ बदलाव था?
4. 7 मई 2025 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने SHAKTI नीति के प्रावधान B(iv) में संशोधन क्यों किया? क्या यह संशोधन अदानी पावर को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नहीं किया गया था?
5. बिना कोयला लिंकेंज को अंतिम रूप दिए टेंडर जारी करना नीति उल्लंघन नहीं था? बिहार सरकार द्वारा कोल लिंकेंज के अनुरोध को महीनों तक क्यों नज़रअंदाज़ किया गया?
6. 11 जुलाई 2025 को थर्मल पावर प्लांट के उत्सर्जन मानकों (Emission Norms) में ढील क्यों दी गई? क्या अदानी पावर को पर्यावरणीय मंज़ूरी दिलाने के लिए नियम बदले गए?
7. BSPGCL के इंजीनियरों ने BERC में दायर समीक्षा याचिका अचानक क्यों वापस ली? क्या इस पर कोई राजनीतिक दबाव था?
8. 55 MGD गंगा जल की स्वीकृति के बिना थर्मल प्रोजेक्ट का टेंडर कैसे जारी किया गया? यदि यह निजी निवेश परियोजना थी, तो फिर केंद्रीय बजट में 21,500 करोड़ की घोषणा क्यों की गई?
9. क्या यह सत्य नहीं कि बिहार सरकार ने परियोजना की पूर्व-निर्माण गतिविधियों पर लगभग 58.67 करोड़ खर्च किए? यह राशि अब किस खाते में दिखाई जा रही है?
10. परियोजना के पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और Cost-Benefit Analysis क्यों नहीं किया गया? क्या हजारों पेड़ों की कटाई से पर्यावरण को गंभीर नुकसान नहीं होगा?
यह मामला बिहार की जनता के साथ विश्वासघात है – पवन खेड़ा
खेड़ा ने कहा कि यह मामला बिहार की जनता के साथ विश्वासघात है। सरकार ने जनता के टैक्स से मिली जमीन, संसाधन और नीतिगत छूट सब कुछ एक निजी कंपनी के हवाले कर दिया है। यह ‘डबल इंजन सरकार’ नहीं बल्कि ‘डबल भ्रष्टाचार सरकार’ बन चुकी है। कांग्रेस पार्टी ने घोषणा की है कि वह इस मुद्दे को संसद से लेकर सड़क तक उठाएगी ताकि बिहार की जनता को सच्चाई पता चल सके और इस घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों से जवाब लिया जा सके। संवाददाता सम्मेलन में मीडिया चेयरमैन राजेश राठौर मौजूद थे।
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स्नेहा राय की रिपोर्ट
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