यहां लोग चढ़ाते हैं बासी भोजन का प्रसाद, NALANDA के इस मंदिर में जुटती है हजारों श्रद्धालुओं की भीड़

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NALANDA: श्रद्धा और आस्था में सब कोई पूजा पाठ करते हैं और हमेशा ही देखा गया है कि पूजा पाठ के दौरान लोग ताजा चीजें प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। लेकिन अगर आपको कहें कि बिहार में एक ऐसा भी मंदिर है जहां बासी प्रसाद चढ़ाया जाता है। जी हां, यह सच है कि बिहार के इस मंदिर में ताजा नहीं बासी प्रसाद चढ़ाया जाता है। यह मंदिर है बिहार के NALANDA मुख्यालय से 05 किलोमीटर दूर मघड़ा गांव में स्थित मां शीतला मंदिर। यह मंदिर प्राचीन काल से आस्था का केंद्र रहा है।

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कहा जाता है कि यहां गुप्तकाल के शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने पूजा की थी जिसकी चर्चा उन्होंने अपनी रचना में भी की है। इस मंदिर में हर वर्ष होली के एक सप्ताह बाद शीतलाष्टमी मेला का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी मंगलवार से यह मेला शुरू होगा जिसके लिए श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शीतलाष्टमी मेला के दिन मघड़ा व इसके आसपास के दर्जनों गांव के घरों में लोग चूल्हा नहीं जलाते हैं। इस दिन सभी लोग एक दिन पहले बनाये गए भोजन का भोग लगा कर फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं।

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मंदिर के पुजारी ने बताया कि चैत्र कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन यहां कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं। इस व्रत की विशेषता है कि इस दिन लोग जो भी प्रसाद का भोग लगाते हैं वह एक दिन पहले ही बना लेते हैं यानि की भोग लगाए जाने वाले प्रसाद बासी होता है। चैत्र अष्टमी के मौके पर मां शीतला की पूजा अर्चना के लिए राज्य के विभिन्न जगहों के अलावे झारखंड, बंगाल और उत्तर प्रदेश से काफी संख्या में लोग पहुचंते हैं। उन्होंने बताया कि इस गांव में एक काफी पुराना कुआं है। इसी कुआं के पानी से लोग बसिओरा के लिए भोजन तैयार करते हैं।

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प्रसाद में अरवा चावल, चने की दाल, सब्जी, पुआ पकवान इत्यादि बनाया जाता है। मंदिर की एक खास बात और है कि यहां दिन में दीपक नहीं जलते हैं। धूप, हुमाद और अगरबत्ती जलाना यहां मना है। मंदिर के पास स्थित तालाब में लोग स्नान कर फिर माँ शीतला के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्नान करने से चेचक रोग से निजात मिलती है।

NALANDA से आशीष कुमार की रिपोर्ट

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