मौत के छह घंटे बाद मृतक को उपचार के लिए गयी पुलिस

Ara- ट्रेन में मौत- रेलवे पुलिस की सक्रियता का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं

कि जिस व्यक्ति की मौत छह घंटे पहले ही ट्रेन में हो चुकी थी.

ट्रेन से उतारने के बाद जिसकी लाश एक घंटे तक प्लेटफार्म पर पड़ी रही.

उस लाश को आरपीएफ पूरे तामझाम के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नोखा ले गयी.

ट्रेन में मौत, शव पर विवाद

दरअसल यह पूरा वाकया ही बेहद परेशान करने वाला है.

रेलवे पुलिस को आरा सासाराम रेल लाईन के नोखा रेलवे स्टेशन पर

एक वृद्ध का शव इंटरसिटी एक्सप्रेस में पड़े रहने की सूचना मिली.

बोगी में शव को देख यात्री परेशान थें.

बताया जा रहा है कि किसी कारण वश एक यात्री की ट्रेन में ही मौत हो गयी थी.

हर किसी की एक ही चाहत की थी कि किसी प्रकार से बोगी से लाश को हटाया जाय.

लेकिन आरपीएफ इस बात पर अड़ी थी कि इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दे दी गयी है.

यह स्थानीय पुलिस की जिम्मेवारी है कि वह लाश को ले जाय.

जबकि स्थानीय पुलिस कह रही थी कि यात्री की मौत ट्रेन में हुई है.

यह आरपीएफ की जिम्मेवारी है कि वह शव को उठाये.

आरपीएफ और स्थानीय पुलिस के बीच घंटो होती रही बहस

इसी बात पर आरपीएफ और स्थानीय पुलिस के बीच घंटों बहस होती रही.

काफी बहस के बाद शव को बोगी से उतारा गया, उसके बाद ट्रेन अपने गंतव्य के लिए रवाना हुई.

लेकिन इस कहानी का क्लाइमेक्स तो अभी बाकी ही था,

जिस लाश को लेकर अब तक आरपीएफ और स्थानीय पुलिस आपस में भिड़ी हुई थी

, जिस लाश को दोनों में से कोई भी छुने को तैयार नहीं था,

उसी लाश को एम्बुलेंस में लाद कर आरपीएफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, नोखा ले गयी.

शव को देख चिकित्सक ने कहा छह घंटे पहले हो चुकी है इसकी मौत

लेकिन यह तो आरपीएफ का दुर्भाग्य था कि

नोखा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉक्टर अजय प्रताप ने कहा

कि हुजूर इसकी मौत तो करीबन छह घंटे पहले ही हो चुकी है.

उसके बाद एक बार फिर से स्थानीय पुलिस और आरपीएफ के बीच विवाद खड़ा हो गया,

स्थानीय पुलिस लाश को पोस्टमार्टम के लिए सासाराम ले जाने को तैयार नहीं थी

, उसकी दलील थी कि यह जिम्मेवारी तो रेलवे की है.

बाद में किसी तरह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया.

मृतक की पहचान औरंगाबाद जिले के धनवान गांव निवासी जगदीश चंद्र प्रसाद 63 वर्ष के रूप में की गई

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