Politics On Hathras : हाथरस कांड में भोले बाबा को एसआईटी की क्लीन चिट पर भड़कीं मायावती ने उठाए सवाल, वकील एपी सिंह बोले – बयान वापस लें मायावती

डिजीटल डेस्क : Politics On Hathras हाथरस कांड में भोले बाबा को एसआईटी की क्लीन चिट पर भड़कीं मायावती ने उठाए सवाल, वकील एपी सिंह बोलें – बयान वापस लें मायावती। हाथरस कांड पर यूपी सरकार को सौंपी गई एसआईटी रिपोर्ट में सत्संग करने वाले भोले बाबा का जिक्र न आने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया है और भोले बाबा पर कार्रवाई न करने के लिए यूपी सरकार पर हमला बोला है। दूसरी ओर, भोले बाबा के वकील ने बसपा सुप्रीमो के बयान पर आपत्ति जताते हुए मांग की है कि बसपा सुप्रीमो मायावती अपना बयान वापस लें।

मायावती बोलीं – हाथरस कांड पर एसआईटी की रिपोर्ट राजनीति से प्रेरित

गत 2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ में 121 श्रद्धालुओं की हुई मौत की जांच के लिए गठित उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने  सत्संग के आयोजकों को दोषी ठहराया लेकिन भोले बाबा यानी सूरजपाल जाटव के नाम जिक्र तक नहीं किया। इसी पर बसपा सुप्रीमो ने नाराजगी जाहिर की है। एसआईटी की रिपोर्ट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने सवाल खड़े कर दिए हैं और उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा है कि बाबा की भूमिका को लेकर सरकार की चुप्पी चिंताजनक है। बसपा सुप्रीमो ने बुधवार को कहा कि यूपी के जिला हाथरस में सत्संग भगदड़ कांड में हुई 121 निर्दोष महिलाओं व बच्चों की दर्दनाक मौत सरकारी लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण है, लेकिन एसआईटी की ओर से सरकार को पेश रिपोर्ट घटना की गंभीरता के हिसाब से नहीं होकर राजनीति से प्रेरित ज्यादा लगती है जो कि अति-दुखद है। इस अति-जानलेवा घटना के मुख्य आयोजक भोले बाबा की भूमिका के संबंध में एसआईटी की खामोशी भी लोगों में चिंताओं का कारण है। बसपा सुप्रीमो ने इसी क्रम में आगे कहा कि भोले बाबा के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के बजाय उसे क्लीनचिट देने का प्रयास चिंताजनक है। इस पर सरकार जरूर ध्यान दे ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

स्वयंभू बाबा के वकील बोले – बसपा सुप्रीमो के बयान से अराजकता फैलेगी

हाथरस कांड पर बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर की गई टिप्पणी पर स्वयंभू बाबा सूरजपाल सिंह (नारायण साकार विश्व हरि) के अधिवक्ता एपी सिंह ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्‍होंने कहा कि बाबा को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान से अराजकता फैलेगी और ऐसे में उन्‍हें (मायावती को) अपना बयान वापस लेना होगा। अधिवक्ता एपी सिंह के इस बयान पर अब हाथरस कांड मामले पर राजनीति भी गरमा गई है। दूसरी ओर, नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा को एसआईटी से क्लीन चिट मिलने पर अनुयायियों में खुशी का माहौल है। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के अनुयायियों का कहना है कि बाबा परमात्मा हैं और परमात्मा को कोई भी सजा नहीं हो सकती है। अनुयायियों में से एक महिला ने कहा कि  उसकी बेटी मरी हुई पैदा हुई हुई थी लेकिन बाबा की छवि आने के बाद में वो जिंदा हो उठी। उसका बेटा अंधा था और बाबा के आश्रम का नल का पानी उसकी आंखों में डालने के बाद अब वो पढ़ने जाता है एवं उसे दिखता भी है।

एसआईटी की रिपोर्ट में है सत्संग के आयोजकों की लापरवाहियों की जिक्र

एसआईटी ने अपनी जांच में आरोप लगाया है कि सत्संग आयोजकों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं की। आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की इजाजत हासिल करने में कामयाबी पाई। ​​जांच में दावा किया गया है कि धार्मिक कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा अनुमति की शर्तें नहीं बताई गई थीं। एसआईटी ने इस भगदड़ के पीछे किसी बड़ी साजिश से इनकार नहीं किया और मामले की गहन जांच की जरूरत बताई है। सूरजपाल उर्फ ​​भोले बाबा के वकील ने दावा किया है कि अज्ञात लोगों द्वारा किसी जहरीले पदार्थ का छिड़काव किए जाने के कारण भगदड़ मची। भगदड़ के कुछ ही दिनों बाद गठित एसआईटी ने 2, 3 और 5 जुलाई को घटनास्थल का दौरा किया था और उसने बारीकी से जांच की। जांच के निष्कर्षों के आधार पर यूपी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया और स्थानीय सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), एक सर्किल अधिकारी (सीओ) और चार अन्य को निलंबित कर दिया। एसआईटी के मुताबिक, स्थानीय एसडीएम, सर्किल अधिकारी, तहसीलदार (राजस्व अधिकारी), इंस्पेक्टर और चौकी प्रभारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में लापरवाही के दोषी हैं। एसआईटी के अनुसार, सिकंदराऊ के एसडीएम ने कथित तौर पर आयोजन स्थल का निरीक्षण किए बिना ही सत्संग की अनुमति दे दी और वरिष्ठ अधिकारियों को भी सूचित नहीं किया। रिपोर्ट में लिखा है कि आयोजन समिति ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया और स्थानीय पुलिस को आयोजन स्थल का निरीक्षण करने से रोकने का की कोशिश की। साथ ही रिपोर्ट में लिखा है कि भोले बाबा को बिना किसी सुरक्षा व्यवस्था के भीड़ से मिलने की अनुमति दी गई और कोई बैरिकेडिंग या मार्ग की व्यवस्था नहीं की गई थी। फिर जब दुर्घटना हुई, तो आयोजन समिति के सदस्य मौके से भाग गए।

सांसद चंद्रशेखर आजाद ने यूपी सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि इतनी बड़ी घटना हुई तो हादसे पर मुख्यमंत्री को जवाब तो देना चाहिए क्योंकि वो जीरो टॉलरेंस वाले मुख्यमंत्री हैं
हाथरस कांड के पीड़ित परिवारों से मिलते नगीना सांसद चंद्रशेखर

नगीना सांसद चंद्रशेखर बोले- भोले बाबा को क्यों बचाया जा रहा, सीएम योगी दें जवाब

हाथरस में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे सांसद चंद्रशेखर आजाद ने यूपी सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि इतनी बड़ी घटना हुई तो हादसे पर मुख्यमंत्री को जवाब तो देना चाहिए क्योंकि वो जीरो टॉलरेंस वाले मुख्यमंत्री हैं। इतने लोगों की जान चली गई तो उसका जवाब कौन देगा?  इसी के साथ सांसद चंद्रशेखर ने भोले बाबा से भी अपील की है कि अगर वो अपने भक्तों के हितेषी हैं तो वो भी हर पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपए मुआवजा दें। उन्होंने संसद में भी इस मामले को उठाने की बात कही है। नगीना सांसद ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि अभी तक प्रशासन के पास सही आंकड़ें नहीं हैं। इस हादसे में कई ऐसे लोग हैं जिनकी मौत हुई और उनके परिजन शव लेकर चले गए और उनका पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ। ऐसे लोगों का आंकड़ा है ही नहीं। इसी क्रम में चंद्रशेखर ने आगे कहा कि  भोले बाबा अगर हितैषी नहीं हैं तो इन लोगों को भी समझना चाहिए और मैं लोगो से अपील भी करूंगा कि आप ऐसे बाबाओं से दूर रहिए। बाबा साहब अंबेडकर का रास्ता ही भलाई का है और उस पर ही चलें एवं अंधविश्वास और पाखंड से दूर रहे नहीं तो उसका खामियाजा जान देकर चुकानी पड़ेगी। चंद्रशेखर आजाद ने जोर देकर कहा मुझे लगता है कि अगर एक बाबा पर कार्रवाई होगी तो फिर आगे किसी और बाबा का नंबर आएगा, तो ऐसे में कई और बाबा फिर इसकी जद में आ सकते हैं। बाबा को क्यों बचाया जा रहा है इसका जवाब तो मुख्यमंत्री को और उनके अधिकारियों को देना चाहिए।

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