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Sunday, October 5, 2025

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श्रीलंका में अबतक शांति बहाली नहीं, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के खिलाफ प्रदर्शन

कोलंबो : रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का नया राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भी

देश में शांति बहाल होने के आसार नहीं दिख रहे.

विकीक्रमसिंघे को राजपक्षे परिवार का मोहरा बताते हुए उनके खिलाफ

प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन तेज कर दिया है.

विक्रमसिंघे जब कार्यकारी राष्ट्रपति थे, उस समय भी प्रदर्शनकारीकी गोटाबाया के साथ

विक्रमसिंघे के इस्तीफे की मांग कर रहे थे.

हालांकि विक्रमसिंघे ने देश का नया राष्ट्रपति चुने जाने के बाद साफ किया है कि

वे राजपक्षे परिवार नहीं बल्कि जनता के मित्र हैं.

प्रदर्शनकारियों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी

कोलंबो में गुरुवार रात श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय परिसर के बाहर प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबल आमने-सामने आ गए.

यह टकराव उस समय शुरू हुआ जब सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों के टेंट हटाने शुरू किए.

जिसके बाद गाले फेस पर प्रदर्शनकारी जमकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.

प्रदर्शनकारियों ने देश के नये राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर राजपक्षे परिवार से मिले होने का आरोप लगाते

हुए उनके भी इस्तीफे की मांग की और कहा कि जबतक ऐसा नहीं होता है, प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटेंगे.

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विक्रमसिंघे के सामने कई चुनौती

इससे पहले रानिल विक्रमसिंघे संसद में 20 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव जीतकर आए और एकदिन पूर्व उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली है.

उनके सामने एतिहासिक आर्थिक संकट के साथ-साथ देश में शांति व्यवस्था बहाल करने की भी चुनौती है.

जो पिछले छह माह से आर्थिक स्थिति के खराब होने के बाद उपजी.

देश के तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया के खिलाफ जनता का उग्र विरोध सामने आया.

उस समय प्रधानमंत्री रहे रानिल विक्रमसिंघे के खिलाफ भी लोगों में गुस्सा देखा गया

और आर्थिक बदहाली के लिए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया गया.

2024 में खत्म होगा विक्रमसिंघे का कार्यकाल

अब जबकि रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके हैं तो उन्होंने साफ किया कि राजपक्षे परिवार नहीं बल्कि वे जनता के मित्र हैं.

उन्होंने देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए हरसंभव उपाय करने का विश्वास जताया.

रानिल विक्रमसिंघे का कार्यकाल 2024 में खत्म होगा. वे गोटाबाया के कार्यकाल को पूरा करेंगे.

राजनीति में लंबा अनुभव

श्रीलंका के पांच बार प्रधानमंत्री रह चुके विक्रमसिंघे राजनीति का लंबा अनुभव रखते हैं.

वे 1977 में संसद सदस्य बने और 1993 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे.

हालांकि संसद में उनकी पार्टी युनाइटेड नेशनल पार्टी का केवल एक सांसद है

लेकिन वे अब राष्ट्रपति के रूप में अपनी पारी शुरू कर चुके हैं.

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