रांची: झारखंड की राजनीति, जहां हर दिन सत्ता की नई कहानी लिखी जाती है, एक बार फिर से सुर्खियों में है। रघुवर दास और शिबू सोरेन के बीच की यह राजनीति का जादू 81वीं जयंती पर एक नए मोड़ को दर्शाता है। तस्वीर वायरल हो गई जब रघुवर दास ने शिबू सोरेन से आशीर्वाद लिया।
यह बस एक सामान्य मुलाकात नहीं थी, बल्कि झारखंड की राजनीति में सत्ता के खेल को लेकर एक नया संदेश था। जहां एक तरफ रघुवर दास ‘विरोधी’ और 2029 की गद्दी के प्रबल दावेदार के रूप में अपनी राजनीतिक भविष्यवाणी को लेकर खड़े हैं, वहीं दूसरी तरफ हेमंत सोरेन, जो वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं, को अपनी सत्ता को मजबूत रखने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
रघुवर दास के इन शब्दों से साफ जाहिर होता है कि 2029 की गद्दी के लिए जब झारखंड में नया इतिहास रचा जाएगा, तो यह महाभारत सीधे हेमंत और रघुवर के बीच होगी। यहां शिबू सोरेन को ‘महाराजा’ के रूप में देखा जा सकता है, जिनका आशीर्वाद लेने से रघुवर दास को एक राजनीति की मंजिल तक पहुंचने का इशारा मिलता है। यह खेल अब ‘विरोधी’ और ‘राजगद्दी’ के बीच के दावों और जोड़-तोड़ के तहत आगे बढ़ेगा।
अगर हम झारखंड की राजनीति के गहरे बारीक पहलुओं को समझें, तो हेमंत सोरेन के राजकाज में एक ‘राजा’ की छवि बन चुकी है, वहीं शिबू सोरेन, जिन्हें ‘गुरुजी’ भी कहा जाता है, को झारखंड के राजनीतिक इतिहास में ‘महाराजा’ के रूप में सम्मान मिलता है। इन दोनों नेताओं की शक्ति और राजनीतिक महत्वत्ता का सामंजस्य शायद अगले चुनावों में ही देखने को मिलेगा।
झारखंड की राजनीति, जो हमेशा से जोड़-तोड़ और संघर्ष से भरी रही है, अब इन नए समीकरणों के साथ और अधिक दिलचस्प होने वाली है। रघुवर दास द्वारा शिबू सोरेन से आशीर्वाद लेने की यह तस्वीर सिर्फ एक व्यक्तिगत भावनात्मक जुड़ाव नहीं है, बल्कि झारखंड की राजनीति के अगले बड़े बदलाव का संकेत है।
अंततः, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये तीन नेता, जो अलग-अलग पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, राज्य के विकास और राजनीति में एक नई राह को चुनते हैं या फिर अगले चुनावों में सत्ता की बाजी फिर से सिर्फ एक ‘राजगद्दी’ और ‘महाराजा’ के हाथों में होगी।