राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा ने मणिपुर की घटना के खिलाफ निकाला विरोध मार्च, मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करो के लगे नारे

रांचीः हरमू मैदान से वीर बुधु भगत चौक अरगोड़ा तक राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा रांची महानगर शाखा समिति के नेतृत्व में मणिपुर की घटना के खिलाफ विशाल पैदल मार्च किया। मार्च में हिस्सा लेने वाले लोगों ने कहा कि राज्य एवं देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी विरोधी मानसिकता, अत्याचार एवं शोषण के चरम स्तर को पार कर मानवता /इंसानियत को शर्मसार कर रहा है। मणिपुर की घटना जिसमें दो आदिवासी महिलाओं को सरेआम पुलिस के संरक्षण से निकालकर पूरी तरह निर्वस्त्र कर पैदल घुमाया गया और इसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। इसपर एन. वीरेन सिंह मुख्यमंत्री मणिपुर द्वारा सार्वजनिक बयान दिया गया कि इस प्रकार की सैंकड़ों घटनाएं हो चुकी है। इस वीडियो के वायरल होने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि काफी धूमिल हुई है। परंतु राज्य सरका एवं केंद्र सरकार ने मामले को गंभीरता से नहीं लेते हुए घटना के 2 महीने बाद कार्रवाई की, जो प्रथम दृष्टया में खानापूर्ति प्रतीत होता है। इसलिए विरोध के साथ-साथ महानगर अध्यक्ष चम्पा कुजूर ने एन. वीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री मणि को बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर जैसे प्रदेश 355 धारा लागू है। जिसमें राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने का दायित्व है। केंद्र सरकार के कार्यकलाप से भी आदिवासी समाज अपने को छला महसूस कर रहा है। आदिवासियों को न्याय दिलाते हुए यथाशीघ्र मणिपुर में शांति एवं अमन-चैन बहाल की जाए.

मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करो के लगे नारे

पैदल मार्च में शहर एवं शहर के आसपास के गांव से हजारों की संख्या में सरना धर्मावलंबी अपने पारंपारिक वेशभूषा, सामाजिक धार्मिक प्रतीक सरना झंडा एवं तख्तियां लेकर पहुंचे। पैदल मार्च में, मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करो, यूसीसी कानून नहीं चलेगा, नारी के सम्मान में आदिवासी समाज मैदान में, आदिवासी विरोधी मानसिकता मुर्दाबाद, आदिवासी धार्मिक सामाजिक भूमि का अतिक्रमण बंद करो… जैसे नारे गूंज रहे थे। लोगों में उक्त घटनाओं को लेकर काफी आक्रोश व्याप्त था। पैदल मार्च में मुख्य रूप से अध्यक्ष चम्पा कुजूर, ज्ञान मुंडा, दुर्गा उरांव, फूलो कच्छप, पवन टोप्पो, मंगा उरांव, अर्जुन गाड़ी, करमा गाड़ी, संगीता मुंडा, सुधीर उरांव, सोमारी उरांव, मुन्नी लकड़ा, संगीता टोप्पो, अनीता असुर, देवंती खलखो, संगीता तिर्की, सुशीला लकड़ा, रजनी तिर्की, नेहा कच्छप, विनीता तिर्की सहित सैकड़ों लोग उपस्तिथ हुए।

आदिवासियों के खिलाफ बढ़ घटनाएं रही है अमानवीय घटना 

सरना समाज के लोगों ने कहा कि इसी प्रकार की घटना 2007 में उत्तर पूर्व के राज्य असम में सार्वजनिक रूप से सड़क पर एक आदिवासी महिला को नग्न अवस्था में मानव रुपी भेडिए के समूह के द्वारा मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया था पूर्वोतर क्षेत्र में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति चिंता का विषय है।

आदिवासी विरोधी मानसिकता का परिचायक हाल के महीनों में देश के आदिवासी बहुल प्रदेश मध्यप्रदेश में देखने को मिला। इस प्रदेश में देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी, जो अपने आप को सबसे ज्यादा मर्यादित मानती है। उसके विधायक प्रतिनिधि प्रवेश शुक्ला द्वारा नशे में धुत होकर एक आदिवासी व्यक्ति के सिर, चेहरे और शरीर पर सार्वजनिक रूप से पेशाब करते हुए अपनी आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रमाण दिया है। इस मानसिकता एवं दबंगता का लिखित साक्ष्य यह है कि पीड़ित आदिवासी परिवार से शपथ – पत्र लिखा लेता है कि मेरे साथ किसी प्रकार की कोई घटना नहीं हुई है। जबकि वायरल वीडियो को किसी साक्ष्य या प्रमाण की आवश्यकता नहीं है। समिति ऐसे आदिवासी विरोधी मानसिकता वाले व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करती है।

आदिवासियों की मान- सम्मान, स्वाभिमान के साथ हो रहे तुष्टिकरण का परिचायक हाल के दिनों में और देखने को मिला कि देश की राजधानी के जगरनाथ मंदिर के गर्भगृह में जाने से देश की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति महोदया श्रीमती द्रौपदी मुरमू को आदिवासी होने के कारण रोक दिया गया।

यूसीसी लागू होने से आदिवासी समाज समाप्त हो जाएगा

वर्तमान केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर समान नागरिक संहिता लाने पर विचार कर रही है इसका राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा घोर विरोध करती है। चूंकि आदिवासी समुदाय अपनी विशिष्ट धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, रूढ़िवादी पारंपरिक व्यवस्था से संचालित है, जिसके कारण समाज अमन चैन से है। यदि यूसीसी आदिवासियों पर थोपा जाता है तो आदिवासियों की विशिष्ट व्यवस्था / पद्धति समाप्त हो जाएगी। आदिवासी समाज समाप्त हो जाएगा।

आदिवासी विरोधी मानसिकता वाले अपराधी प्रवृत्ति के लोगों पर हो सख्त कार्रवाई

झारखंड जैसे आदिवासी बहुल प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन भी आदिवासी हैं। अतः समिति पुरजोर मांग करती है कि हेमंत सरकार यूसीसी के संदर्भ में अपना मन्तव्य स्पष्ट करें कि समर्थन में है या विरोध में? पंजाब सरकार के साथ-साथ उत्तर – पूर्व के कुछ राज्य ने स्पष्ट किया है कि वह यूसीसी की विरोध में हैं।

समिति ने झारखंड सरकार का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट किया कि आए दिन झारखंड राज्य में भी आदिवासियों के साथ मारपीट की घटनाएं काफी बढ़ गई है। जिस पर राज्य सरकार से मांग की जाती है कि आदिवासी विरोधी मानसिकता वाले अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाए। आदिवासियों की व्यक्तिगत भूमि के साथ-साथ धार्मिक- सामाजिक भूमि की लूट को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने का निर्देश संबंधित उपायुक्त को दिया जाए; इस मांग को लेकर महानगर समिति आने वाले समय में बड़ा आंदोलन करने की रूपरेखा तैयार कर रही है।

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