Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट ने सदर अस्पताल, लोहरदगा में पिछले 16 वर्षों से रसोइया के पद पर कार्यरत शिल्पी कुमारी को बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति आनंदा सेन की एकल पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता को न तो सेवा से हटाया जाएगा और न ही उन्हें किसी आउटसोर्सिंग एजेंसी के अधीन कार्य करने के लिए बाध्य किया जाएगा। साथ ही, उन्हें नियमित रूप से वेतन दिए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर 2025 को होगी।
Ranchi: आउटसोर्सिंग के खिलाफ आवाज
याचिका में कहा गया कि शिल्पी कुमारी बीते 16 वर्षों से विभाग में सेवा दे रही हैं, लेकिन अब आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग एजेंसियों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इससे याचिकाकर्ता की भविष्य की नियमित नियुक्ति, आरक्षण, अनुभव वेटेज और आयु में छूट जैसे अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
Ranchi: समान कार्य, समान वेतन की मांग
याचिका में यह भी अनुरोध किया गया कि याचिकाकर्ता को ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत के तहत वही वेतन दिया जाए जो विभाग के नियमित रसोइयों को प्राप्त होता है।
Ranchi: अधिवक्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने दलील दी कि यह मामला उच्चतम न्यायालय द्वारा तय नियमितीकरण के मानदंडों पर खरा उतरता है। अतः याचिकाकर्ता को नियमित नियुक्ति और सभी सेवा लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा अपनाई गई बिचौलिया प्रणाली (आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से नियुक्ति) पूरी तरह अनुचित है। यदि नियुक्ति संविदा या दैनिक वेतनभोगी आधार पर करनी हो, तो यह कार्य राज्य सरकार को सीधे करना चाहिए न कि किसी एजेंसी के माध्यम से।
Highlights