प्रधानमंत्री ने परिवारवाद ओर भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि न खाउंगा, न खाने दूंगा, लेकिन कैग की रिपोर्ट में अरबों रुपये की गड़बड़ी पाई गई- सुप्रियो भट्टाचार्य

रांचीः न खाऊंगा न खाने दूंगा 2014 का ये जुमला था. प्रधानमंत्री ने इस बार भी लाल किले से परिवारवाद ओर भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि न खाउंगा, न खाने दूंगा. लेकिन कैग की रिपोर्ट में अरबों रुपये की गड़बड़ी पाई गई है. हर जगह एम्स खुल रहे, लोगों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज चल रहा है. जब इसकी जांच हुई तो अरबों रुपये डकारने वाले सरकार में बैठे हुए हैं. यह बाते जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कही.

समाज कल्याण विभाग में सबसे अधिक भ्रष्टाचार

उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन विभाग का सबसे महत्वपूर्ण योजना है. भारत माला योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई है. समाज कल्याण विभाग में गरीबों के पैसे खा लिए गए. उस विभाग की मंत्री एक एंकर को पूछती है आप जेल गए तो कैसा लगता है. सबसे अधिक भ्रष्टाचार इन विभागों में सिरियली पाया गया है.

इनकी सरकार में अधिक परिवारवाद

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय और फाइनेंस मंत्रालय में इतना बड़ा परिवारवाद ओर भ्रष्टाचार पाया गया है. तो इसपर तो आज कुछ बोलना होगा. गैर बीजेपी शासित सरकार को आप अपने साथ मिलाना चाहते हैं. इसलिए वहां आईटी, सीबीआई ओर ईडी घूमता रहता है. लेकिन दिल्ली के इस भ्रष्टाचार पर कहां हैं ये एजेंसियां. रेल मंत्री भी गुजरात कैडर के आईएएस रहे जकुे हैं. जिस विभाग में भ्रष्टाचार हुए हैं उसमें गुजरात कैडर का अधिकारी ज्यादा है.

कैग के रिपोर्ट पर तो बोलना होगा

70 हजार करोड़ के घोटाले वाले को महाराष्ट्र में मंत्री बना दिया जाएगा. अभी तीन मंत्रालय में इतने भ्रष्टाचार पाए गए हैं. अगर सभी विभाग के रिपोर्ट आ जाएंगे तो हम कहां जाकर रुकेंगे. झूठ और फरेब अब इनका हथियार बन चुका है. इसमें एक बड़ा हिस्सा जन सूचना माध्यम के हैं, वो भी लगा हुआ है. बाबूलाल मरांडी घूम रहे है. नकल मामले में पहले तो फंस गए थे. अब आपको कैग के रिपोर्ट पर तो बोलना होगा. डुमरी में भी घूम रहे हैं वहां जाकर बोलेंगे कि हमने ओबीसी को आरक्षण कम दिया. 1985 का स्थानीयता जब घोषित किया तो चंद्रप्रकाश वहां थे. 2016 में जब सीएनटी-एसपीटी एक्ट की बात हुई थी. तब रघुवर दास का विरोध क्यों किए थे. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा नेता लोगों के बुनियादी सवाल से मुंह मोड़ते हैं.

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