संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ की रिपोर्ट: डॉ. आशा लकड़ा ने सौंपा राष्ट्रपति और गृहमंत्री को दस्तावेज़

संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ की रिपोर्ट: डॉ. आशा लकड़ा ने सौंपा राष्ट्रपति और गृहमंत्री को दस्तावेज़

रांची: संथाल परगना के छह जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर विवाद गहरा गया है। जबकि केंद्रीय सरकार बार-बार बांग्लादेशी घुसपैठ की ओर इशारा कर रही है।

झारखंड राज्य सरकार इस दावे से साफ इनकार कर रही है। इस बीच, अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने हाल ही में संथाल परगना में किए गए सर्वे की रिपोर्ट राष्ट्रपति, झारखंड के राज्यपाल और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को सौंप दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, संथाल परगना की जनसांख्यिकी में बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ है। विशेष रूप से साहिबगंज जिले में, 1971 के बाद से बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का आंकड़ा लगातार बदलते रहने के कारण उनकी वास्तविक संख्या का आकलन करना कठिन है।

हालांकि, सर्वेक्षण के दौरान ऐसे प्रमाण मिले हैं जो बांग्लादेशी घुसपैठ की पुष्टि करते हैं। साहिबगंज जिले में यह भी पाया गया है कि आदिवासी परिवारों को पांच हजार रुपये का कर्ज देकर उन्हें 50 हजार रुपये का कर्ज चढ़ाया जा रहा है। यदि वे कर्ज चुकाने में असमर्थ होते हैं, तो उनके साथ आदिवासी बेटियों से विवाह कर लिया जाता है। इसके अलावा, उनकी जमीनों को हड़पने के लिए नोटरी के माध्यम से दान पत्र तैयार किए जा रहे हैं, और इसके बदले में कुछ पैसे दिए जा रहे हैं।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दान में ली गई जमीनों पर मस्जिद और मदरसा बनाया जा रहा है। मंडरो, बोरियो, बरहेट, तालझारी, राजमहल, उधवा, पतना और बरहरवा प्रखंडों में मानव तस्करी की गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। विशेष रूप से, बोरियो प्रखंड के राणा पाना से 8 लड़कियां गायब हैं, जिनका आज तक कोई सुराग नहीं मिला है। इस तरह की गतिविधियों ने संथाल परगना में गंभीर चिंता का विषय बना दिया है, और इसे लेकर सरकारों के बीच मतभेद और भी गहरे होते जा रहे हैं।

Share with family and friends: