नहीं रहे रूस और जर्मनी, अमेरिका अफ्रीका और जापान इन्हें करते हैं याद
West Champaran– जी हां, आप ठीक सुन रहे हैं, नहीं रहे रुस और जर्मनी अमेरिका, अफ्रीका और जापान इन्हे करते हैं याद. आज भी रुस और जर्मनी की याद कर अमेरिका, अफ्रीका और जापान की आंखों भर जाता है.
Highlights
आप आश्चर्चकित नहीं हो, यह कहानी है बगहा के सिसवा बसंतपुर पंचायत के बसनपुर गांव की. एक ऐसा गांव जहां इन पांच देशों की चर्चा होती रहती है. इस गांव के पांच भाई अमेरिका अफ्रीका, जर्मनी और रुस और जापान के नाम से जाने जाते है.
इस नामांकरण की भी बड़ी अजीब कहानी है
हालांकि रूस और जर्मनी की मौत हो चुकी है. इन लोगों के इस तरह के नाम के भी पीछे एक कहानी है. इस परिवार में एक अकलू शर्मा हुआ करते थें, देश की आजादी के समय वह भारतीय फौज में थें. उस समय इन बड़े देशों की खुब चर्चा हुआ करती थी, इसी समय 1950 में उनके घर में एक भतीजे का आगमन हुआ, परिवार ने उसका नामांकरण इन बड़े देशों के नाम पर अमेरिका कर दिया. धीरे-धीरे अकलू शर्मा के भतीजों की संख्या बढ़ती गई और एक एक कर सभी नामांकरण इन बड़े देशों पर किए जाने का सिलसिला चलता रहा.
इन पांच भाइयों में से तीसरे और चौथे नंबर के भाई रूस और जर्मनी की मौत हो चुकी है. रूस की मौत 10 वर्ष पहले तो वहीं जर्मनी की 5 वर्ष पहले हुई. लेकिन अब भी अमेरिका, अफ्रीका जापान स्वस्थ्य जिंदगी जी रहे हैं.
नाम की वजह से करनी पड़ती है परेशानियों का सामना
परिवार के लोग बताते हैं कि इन नामों की वजह से इन्हे कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा. गांव वाले भी नाम को लेकर इनका मजाक उड़ाया करते थें. इसके बावजूद सरकारी कागजातों में इनका नामांकरण अमेरिका, अफ्रीका, जर्मनी, रूस और जापान ही हैं.
नाम को लेकर थानेदार ने एफआईआर दर्ज करने से किया इनकार
इनके नामों को लेकर जब भी चर्चाएं होती हैं तो इनके पीछे की एक कहानी भी लोग अपने जुबानी सुना डालते हैं. यहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि 35 वर्ष पहले धुरन मिस्त्री नाम के व्यक्ति इस गांव में रहा करते थे. जिनका इस परिवार से झगड़ा चलता रहता था, एक दिन धुरन मिस्त्री इन भाईयों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाने पहुंचा. लेकिन इनके आवेदन पर देशों का नाम रहने के कारण थानेदार ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार करते हुए धुरन मिस्त्री को पागल समझ कर थाने से खदेड़ दिया.
भाइयों में कभी नहीं हुआ कोई झगड़ा
स्थानीय लोग बताते हैं कि इन भाइयों की लड़ाई होते किसी ने नहीं देखा था. आज भी जब गांव में जाते हैं तब बचे तीन भाई इकट्ठे दिखाई दे जाते हैं. गांव में रिश्तेदारी से आए लोग जब इनके नामों को सुनते हैं तो इनसे मिलने का लालच नहीं छोड़ते. यह लोग अपने नाम के वजह से आसपास के कई पंचायतों में जाने जाते हैं. इनके गांव के आसपास या गांव में एक के बारे में पूछने पर लोग अपने हंसी को नहीं रोक पाते. हंसी पूछने पर पूरी कहानी बता डालते हैं.
अमेरिका – जन्म 1950 है, 71 वर्ष की अवस्था में जीवित है, अफ्रीका – जन्म 1957 है, 65 वर्ष की अवस्था में जीवित है. जर्मनी – जन्म 1962 है, 55 वर्ष की अवस्था में इनकी मौत हो गई, रूस – जन्म 1960 है, 52 वर्ष की अवस्था में इनकी मौत हृदय गति रुकने से हो गई, जापान – जन्म 1968 है, 54 वर्ष की अवस्था में जीवित है।
रिपोर्टर : अनिल कुमार