खेल से लेकर खेत तक पसीना बहाती हैं झारखंड की बेटियां- सविता पूनिया

Jamshedpur-काफी मजबूत होती हैं झारखंड की बेटियां- दोराबजी टाटा के जन्मदिन पर टाटा स्टील द्वारा जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कंपलेक्स में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए

जमशेदपुर आयी भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान सविता पूनिया ने कहा है कि

बचपन में क्रिकेट छोड़कर किसी खेल का नाम भी नहीं सुना था.

जब सातवीं कक्षा में गांव छोड़कर शहर आई तब दादा जी के कहने पर हॉकी खेलने की शुरुआत हुई.

तब से लेकर आज तक यह प्रयास जारी है.

यह हमारी खुशकिस्मती है कि 16 वर्ष के बाद भारतीय  महिला हॉकी टीम को कॉमनवेल्थ में कांस्य पदक मिला.

हॉकी का भविष्य- झारखंड की बेटियां

सविता पूनिया ने कहा कि झारखंड की बेटियां काफी मजबूत होती हैं,

वह प्रैक्टिस के बाद भी अपने खेतों में काम करती हैं.

अपना पसीना बहाती है, प्रकृति के साथ जीती हैं,

इनका यही जज्बा आने वाले दिनों में भारत को गोल्ड दिलवायेगा.

सविता पुनिया ने कहा कि यह बेहद खुशी की बात है कि

जमशेदपुर में ग्रामीण क्षेत्रों से बच्चियों का चयन कर हॉकी का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

आने वाले समय में यही बच्चे देश का नाम रोशन करेंगे.

दौड़ना मेरा जुनून था-अविनाश सबले

इस अवसर  पर 3000 मीटर की रेस में सिल्वर पदक लाने वाले अविनाश सबले ने कहा कि

बचपन से दौड़ना मेरा जुनून था. घर से दौड़कर ही स्कूल जाता था,

उसका एक कारण यह भी था कि इससे समय की बचत होती थी और खेलने का समय मिलता था.

जब बाद के दिनों में आर्मी ज्वाइन किया तो इसका महत्व समझा और देश को सिल्वर मिला.  

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