सरायकेला-खरसावां : आजादी के बाद भी आदिमयुग में जीवन गुजार रहे हैं ईचागढ़ जारागोड़ा के ग्रामीण

सरायकेला-खरसावां :

जिले के ईचागढ़ प्रखंड क्षेत्र में आज भी कुछ ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीण पगडंडी वाले रास्ते से ही आना-जाना करने को मजबूर

हैं। आज भी प्रचीनकाल की तरह बिन रास्ता और सड़क के कष्टदायक जीवन गुजार रहे हैं। ऐसी ही हालत राजस्व गांव

जारागोड़ा गांव की है । आजादी से लेकर अलग झारखंड बनने के इतने सालों बाद भी जारागोड़ा गांव जाने के लिए कोई रास्ता

नहीं है । सिल्ली- रांगामाटी मुख्य सड़क पर दुबराजपुर से महज दो किलोमीटर पर अवस्थित जारागोड़ा गांव में आज तक एक

अदद सड़क का भी निर्माण नहीं हो सका है । गांव में उत्क्रमित मध्य विद्यालय भी है और चुनाव में बूथ भी उसी विद्यालय में

होता है । गांव में 350 मतदाता हैं और करीब 800 की आवादी निवास करती है । जारागोड़ा में सिर्फ आदिवासी समुदाय के

लोग ही निवास करते हैं । ग्रामीण 21 वीं सदी मे भी पगडंडी रास्ते पर ही आवाजाही करने को मजबूर है । ग्रामीणों ने बताया की

बारिश के दिनों में आने जाने में काफी कठीनाईयों का सामना करना पड़ता है । गर्भवती महिलाओं को प्रशव के लिए ढोकर

मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है । मरीजों को भी ढोकर मुख्य मार्ग तक ले जाना पड़ता है । ग्रामीण बृहस्पति माझी और

भगीरथ माझी ने बताया की कई बार गांव में रास्ता बनाने का मांग जन प्रतिनिधियों से किया गया है, मगर अभी तक रास्ता

निर्माण नहीं कराया गया।

रांगामाटी पूर्वी पंचायत में आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन

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