PATNA: बिहार की राजनीति में शरद यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने जेडीयू को जमीन पर मजबूत किया था और कई अहम राजनीतिक घटनाओं में एक सक्रिय भूमिका निभाने वाले रहे. शरद यादव की निजी जिंदगी की बात करें तो उनका जन्म 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक गांव में हुआ था.
शरद यादव की पढ़ाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही और 1971 में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और मिसा के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिए गए.
सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने वर्ष 1974 में रखा था कदम
सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने वर्ष 1974 में कदम रखा था. वे पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. वो जेपी आंदोलन का समय था और वह हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे.
बता दें कि शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का 20 मार्च, 2022 को राष्ट्रीय जनता दल में विलय हुआ था. उनके इस कदम को उनके सहयोगियों के पुनर्वास के प्रयास
के रूप में देखा जा रहा था क्योंकि जनता दल (यू) नेता
और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलग होने के बाद बनाई थी अपनी पार्टी
उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव आरजेडी के टिकट पर लड़ा था.
वहीं, उनकी बेटी ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस
उम्मीदवार के रूप में लड़ा था. उस समय कांग्रेस राजद नीत गठबंधन में शामिल थी.
शरद यादव तीन बार राज्यसभा के सदस्य रहे थे.
वहीं, वे सात बार लोकसभा के लिए चुने गए थे.
बिहार के सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के संस्थापक सदस्य रहे.
शरद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन को
समाप्त करने और बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद उनका साथ और पार्टी छोड़ दी थी.