जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
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डिजीटल डेस्क : Sheikh Hasina – बांग्लादेश को पिता शेख मुजीबुर्रहमान वजूद में लाए, बेटी ‘लौह महिला’ हसीना को छोड़ना पड़ा मुल्क। इसे ही शायद नियति कहते हैं। पूर्वी पाकिस्तान के रूप में पाकिस्तान के अधीन रहे मौजूदा बांग्लादेश को वर्ष 1971 में भारत की सक्रिय मदद से वजूद में लाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान को लेकर किसी ने तब सपने में नहीं सोचा होगा कि भविष्य में ऐसा भी हश्र होगा।
अपनी विशिष्ट शख्शियत, साहस और देशप्रेम के चलते ‘लौह महिला’ के नाम से देश में ख्यातिलब्ध हुई उन्हीं शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना को सोमवार को अपने ही मुल्क में प्रदर्शनकारियों और करीबी सैन्य अधिकारियों के बदले तेवर के सामने नतमस्तक होते हुए मुल्क को छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।
सोमवार अपराह्न 2.30 बजे भारी दबाव के बीच उन्होंने मुल्क से सुरिक्षत निकलने के लिए हेलीकॉप्टर से अपनी बहन के साथ विश्वस्त पड़ोसी देश भारत के लिए उड़ान भरी तो न केवल भारत बल्कि सभी पड़ोसी मुल्क और दुनिया की निगाहें इस अहम वैश्विक घटनाक्रम पर रहीं।
भारत में पली-बढ़ीं और पढ़ी-लिखी हैं बंग बंधु की बेटी Sheikh Hasina
निवर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता कहा जाता है क्योंकि शेख मुजीबुर्रहमान ने ही बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाई थी। यही कारण है कि मुजीबुर्रहमान को भारत में बंग बंधु के नाम से भी जाना जाता है। बांग्लादेश की स्थापना के समय वहां के हालात सही नहीं थे।
ऐसे में शेख मुजीबु्र्रहमान ने शेख हसीना को भारत में रखा था। ऐसे में शेख हसीना का भारत के साथ पुराना संबंध हैं। शेख हसीना के बचपन से लेकर पढ़ाई-लिखाई सब भारत में ही हुई है।
Sheikh Hasina : विरासत में सीखा सियासी दांवपेंच और विरोध को कुचलने में हासिल की थी कुशलता
बंग बंधु की बेटी Sheikh Hasina अपने खिलाफ उठने वाली विरोध की हर आवाज को कुचलने में माहिर थीं। विरासत में उन्होंने सियासी दांवपेंच सीख लिया था। उन्होंने सत्ता में आते ही विपक्षी बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी और जमात ए इस्लामी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। हालात इतने बदतर हो गए कि विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता देश छोड़कर भाग गए।
कई नेताओं पर हमले, आपराधिक मुकदमों में फंसाने और दूसरे तरीकों से प्रताड़ित करने के आरोप भी लगे। इतना ही नहीं, शेख हसीना पर देश के चुनावों को भी प्रभावित करने के आरोप लगे। इस कारण मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी ने तो चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया था और नतीजा यह था कि शेख हसीना पिछले दो चुनाव एकतरफा तरीके से जीतती आ रही थीं।
बांग्लादेश की पहली लौह महिला बनीं Sheikh Hasina , सभी प्रमुख देशों से बनाए मधुर रिश्ते
Sheikh Hasina को बांग्लादेश की लौह महिला के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कुल 20 साल बतौर प्रधानमंत्री देश पर शासन किया। उनके शासनकाल में बांग्लादेश ने तेजी से प्रगति की और देश की अर्थव्यवस्था ने पाकिस्तान को भी पछाड़ दिया। शेख हसीना ने प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में कट्टरपंथ को कम किया और देश को विकास के रास्ते पर लेकर आईं।
उन्होंने दुनिया के हर उस देश से मदद ली, जिसकी उनके देश को जरूरत थी। यही कारण है कि बांग्लादेश ने चीन से भी उतने ही मजबूत संबंध बनाए, जिसने भारत से। हसीना के शुरुआती कार्यकालों में बांग्लादेश के अमेरिका से भी रिश्ते काफी मजबूत थे, लेकिन वे समय के साथ कमजोर होते चले गए।
बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति की बेटी हसीना 20 साल पीएम रहीं, छात्र राजनीति से करियर शुरू
दक्षिण एशिया के बड़े राजनेताओं में शुमार रहे बांग्लादेश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति रहे शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना वाजेद अपने देश की 20 साल तक पीएम रहीं। वह बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री हैं। देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी किसी महिला ने इतने समय तक शासन नहीं किया है। हसीना के नाम पर दुनिया में सबसे लंबे समय तक किसी सरकार की हेड रहने का कीर्तिमान है। अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 को पूर्वी बंगाल के तुंगीपारा में बंगाली राष्ट्रवादी नेता शेख मुजीबुर रहमान के घर हुआ था जो आगे चलकर बांग्लादेश की आजादी के नायक बने। तुंगीपारा में प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने ढाका के ईडन कॉलेज से पढ़ाई की। वर्ष1966 और 1967 के बीच वह ईडन कॉलेज में छात्र संघ की उपाध्यक्ष भी रहीं। हसीना ने ढाका विश्वविद्यालय में बंगाली साहित्य की पढ़ाई और 1973 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शेख हसीना ने हसीना ने एम ए वाजेद से 1967 में शादी की थी। उनका 2009 में निधन हो गया था।
पिता के कत्ल के बाद सक्रिय सियासत में आईं थीं शेख हसीना वाजेद
शेख हसीना की राजनीति में एंट्री उनके पिता शेख मुजीब की 1975 में हत्या के बाद हुई। पिता की हत्या के कुछ साल बाद बांग्लादेश लौटीं हसीना ने साल 1981 अवामी लीग की कमान संभाली और साल 1991 में बांग्लादेश की संसद में नेता विपक्ष बनी। साल 1996 में हुए चुनाव में उनकी पार्टी को जीत मिली और वो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। अगला चुनाव यानी 2001 में वह हार गईं। इसके बाद उनकी सत्ता में वापसी 2009 में हुई। इसके बाद वह यानी लगातार चार बार (2009, 2014, 2018, 2024) पीएम चुनी गईं। इस साल की शुरुआत में हुए आम चुनाव के लिए शेख हसीना ने चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में अपनी संपत्ति का जो ब्यौरा दिया था उसके मुताबिक, शेख हसीना की कुल संपत्ति 4.36 करोड़ बांग्लादेशी टका (3.14 करोड़ भारतीय रुपए) है। हलफनामे में उन्होंने बताया था कि उनकी आय का महत्वपूर्ण हिस्सा कृषि से आता है।
युवाओं में खासी लोकप्रिय रहीं Sheikh Hasina युवाओं का ही गुस्सा समझ नहीं पाईं
बांग्लादेश में Sheikh Hasina अपने कार्यकाल की शुरुआत में युवाओं के बीच खूब लोकप्रिय रहीं। हालांकि, समय के साथ उनके जमीन से संबंध टूटते गए और उनके फैसलों का असर युवाओं पर दिखने लगा। पिछले 5 साल में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था तेजी से बिगड़ी। उसका असर सरकारी नौकरियों, वेतन और प्राइवेट सेक्टरों पर साफ देखा गया। नकदी की कमी के कारण बांग्लादेश के युवाओं के लिए अवसरों की संख्या सीमित हो गई।
विदेशी कंपनियों ने भी बांग्लादेश में निवेश से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया। इस बीच शेख हसीना ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए सरकारी नौकरियों में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वालों के बच्चों को आरक्षण का ऐलान कर दिया। इस फैसले ने युवाओं के गुस्से को भड़का दिया, जिसे Sheikh Hasina ने कमतर समझने की भूल कर दी।

अर्श से फर्श पर आईं शेख हसीना को मिला भरोसेमंद भारत का साथ
बांग्लादेश की सियासत में अर्श पर पहुंची Sheikh Hasina को सोमवार को आखिरकार फर्श पर आना पड़ा और हालात ऐसे बने कि देश छोड़कर सुरक्षित निकलने का ही आखिरी विकल्प मिला। वैसी घड़ी में बांग्लादेशी सेना की स्वीकृति से शेख हसीना ने भरोसेमंद भारत से संपर्क किया। अंतरराष्ट्रीय सीमा विवाद को देखते हुए भारत ने शेख हसीना की गुहार के बाद भी उन्हें देश से सकुशल बाहर निकालने के लिए अपना जहाज नहीं भेजा।
लेकिन भारत ने Sheikh Hasina को अकेला भी नहीं पड़ने दिया और भारतीय सीमा में पहुंचने के लिए संदेश देते हुए आश्वस्त किया कि भारतीय सीमा में दाखिल होते ही उनकी पूरी सुरक्षा भारत की होगी। उसी क्रम में हेलीकॉप्टर से शेख हसीना के कोलकाता, अगरतला या बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचने का विकल्प रखा गया। उसके बाद दोपहर 2.30 बजे ढाका से हेलीकॉप्टर से निवर्तमान पीएम शेख हसीना अगरतला को रवाना हुआ जहां से वह विशेष विमान से नई दिल्ली और फिर वहां से लंदन रवानगी का कार्यक्रम फाइनल होना है।
इससे पहले बांग्लादेश में लगातार बिगड़ते हालात के सत्ता पर तेजी से हावी हुई सेना और सैन्य अधिकारियों ने सोमवार को अचानक पूरे मामले में काफी तेजी दिखाई। सैन्य अधिकारियों के बदले तेवर ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को सकते में डाल दिया और उन्हें बैकफुट पर आने को विवश कर दिया। सैन्य अधिकारियों ने महज 45 मिनटों में पद से इस्तीफा देने और साथ देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया और अन्यथा की सूरत में सैन्य कार्रवाई का अंजाम भुगतने को तैयार रहने को गया।
सैन्य अधिकारियों के बदले रुख और उनकी ओर से पेश सीमित विकल्प देख आखिरकार Sheikh Hasina अंदर से टूट गईं और चंद मिनटों में ही पद से इस्तीफा देते हुए देश को छोड़कर सुरक्षित ठिकाने को रवाना होने का रास्ता चुना। आलम ऐसा रहा कि पीएम पद से इस्तीफा देने के दौरान शेख हसीना राष्ट्र के नाम अपना संदेश रिकार्ड करवाना चाह रही थीं लेकिन सैन्य अधिकारियों ने सीधे तौर पर उसके लिए मना कर दिया और तत्काल देश छोड़कर निकल जाने को कहा। लाचारी में Sheikh Hasina सैन्य अधिकारियों के हुक्म का तामील करतीं नजर आईं।