डिजीटल डेस्क : शेख हसीना ने हिंडन एयरबेस के शापिंग कांप्लेक्स में खरीदे दैनिक उपयोग के जरूरी सामान और कपड़े। तख्तापलट के बाद बांग्लादेश से बहन रेहाना संग जीवित बच निकलीं शेख हसीना और उनकी बहन के पास दैनिक उपयोग की जरूरी सामान भी नहीं हैं या कम पड़ गए हैं। बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान उन्हें केवल 45 मिनटों में देश छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा था क्योंकि उनके सामने अंतिम विकल्प के रूप में अपने पिता स्व. शेख मुजीबुर्ररहमान की ही भांति कत्ल होना था। भारत से तत्काल शरण का संकेत मिलते ही वह त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के वायुमार्ग से होकर यूपी में दाखिल हुईं भारतीय राजधानी के निकट यूपी के शहर गाजियाबाद में उतरीं। अचानक हुए अप्रत्याशित घटनाक्रम से एकदम सदमें आ गईं थी और अब थोड़ा रिकवर होने पर उन्होंने पाया कि उनके साथ उनके जरूरी सामान,दस्तावेज आदि के कुल दो ही सूटकेस ही आ पाए हैं। इसके बाद उन्होंने कड़ी सुरक्षा के बीच हिंडन एयरबेस के ही शापिंग कांप्लेक्स में बुधवार को खरीददारी की।
शेख हसीना ने की 30 हजार रुपयों की खरीददारी
मिली जानकरी के मुताबिक, शेख हसीना ने अपनी बहन रिहाना के साथ बुधवार को गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयरबेस के शॉपिंग कांप्लेक्स से जरूरत का सामान सहित कपड़े भी खरीदे। उन्होंने करीब 30 हजार रुपये की खरीदारी की। उन्होंने भारतीय रुपये में भुगतान किया है। बता दें कि शेख हसीना द्वारा खरीदारी करने के बारे में एयरफोर्स स्टेशन के जनसंपर्क अधिकारी को फोन किया गया। बताया जा रहा है कि चूंकि बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना के दल में शामिल सभी सदस्य जल्दबाजी में हड़बड़ी और आननफानन में भारत आए थे। ऐसे में उनके दल में शामिल कई लोग अपने साथ कपड़े या कोई अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी नहीं ले सके थे। उनके भारत पहुंचने के बाद भारतीय प्रोटोकाल अधिकारियों ने हसीना की टीम के सदस्यों को कपड़े और अन्य सामान खरीदने में मदद की। बता दें कि पूर्व पीएम हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में रुकी हुई हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां उन्हें यहां से जल्द किसी दूसरे स्थान पर अपनी कड़ी निगरानी में शिफ्ट कर सकती हैं।
शेख हसीना की सुरक्षा में लगे हैं भारतीय गरुड़ कमांडो
फिलहाल, हिंडन एयरबेस के जिस गेस्ट हाउस में वह अपने दल के साथ ठहरी हुईं हैं, वहां बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं। स्थानीय पुलिस भी गश्त कर रही है। मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय सुरक्षा अधिकारियों ने बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की सुरक्षा में गरुड़ कमांडो की तैनाती कर रखी है। उनकी सुरक्षा में यातायात पुलिसकर्मियों को भी लगाया गया है। बता दें कि शेख हसीना अपनी बहन रेहाना के साथ बांग्लादेश से गत सोमवार शाम साढ़े पांच बजे हिंडन एयरबेस पहुंची थीं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भी उनसे मिलने उसी शाम हिंडन एयरबेस पहुंचे थे।
शेख हसीना को जीवित भारत भेजने वाले चार अफसरों में दो पर कसा शिकंजा
बांग्लादेश में गत सोमवार को विद्रोहियों के प्रधानमंत्री निवास घेरने से पहले बांग्लादेश के 4 अधिकारियों ने शेख हसीान को सुरक्षित मुल्क से बाहर करते हुए भारत भेज दिया था। अब तख्तापलट के बाद उन्हीं 4 में से 2 अधिकारियों पर नई हुकूमत ने शिकंजा कस दिया जबकि एक की खोज अभी भी जारी है। बताया जा रहा है कि अगर ये 4 अफसर सही वक्त पर एक्शन में नहीं आते तो पिता शेख मुजीबुर्रहमान की तरह शेख हसीना का भी कत्ल हो जाता। गत 5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने तीनों सेनाओं के प्रमुख, इंटेलिजेंस हेड, सुरक्षा सलाहकार और पुलिस आईजी के साथ गणभवन (पीएम आवास) में बैठक की। बैठक शुरू होते ही शेख हसीना ने पुलिस प्रमुख पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया तो अधिकारियों ने कहा कि गोली चलाकर इस मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता है और अभी प्रदर्शनकारी आपके यहां आ जाएंगे और फिर मुश्किलें बढ़ सकती है। अफसरों ने शेख हसीना से कहा कि आप आराम से अभी देश छोड़कर सुरक्षित जगह पर चले जाइए। कुछ देर विचार करने के बाद शेख हसीना ने अपना इस्तीफा लिख दिया। हालांकि, हसीना चाहती थीं कि प्रदर्शनकारियों पर पुलिस सख्त एक्शन लें और हालात कंट्रोल होते ही फिर से कुर्सी संभाल ली जाए लेकिन सेना प्रमुख ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। उसके बाद वह सुरक्षित भारत आ गईं।

तख्तापलट के दौरान शेख हसीना के वफादार रहे चारों अफसरों की जानकारी एकनजर में….
उन 4 अफसरों में से एक इंस्पेक्टर जनरल अब्दुल्ला अल मामुन थे। उन्होंने शेख हसीना की जान बचाने में बड़ी भूमिका निभाई क्योंकि उन्होंने ही हसीना को साफ-साफ कह दिया कि अब यहां भीड़ आएगी जिसे नियंत्रित करना मुश्किल है। तख्तापलट के बाद बांग्लादेश सरकार ने मामुन को पद से हटा दिया है। दूसरे विश्वस्त अफसर थे इंटेलिजेंस हेड जियाऊल हसन जिनको शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद पद से हटा दिया गया और वर्तमान में वे पुलिस की हिरासत में हैं। तीसरे अफसर हैं आर्मी चीफ वकार-उज जमान जिनकी शेख हसीना को सुरक्षित बांग्लादेश से भारत भेजने में अहम भूमिका रही। गत सोमवार को शेख हसीना सुबह 11 बजे ही इस्तीफा दे चुकी थीं लेकिन आर्मी चीफ ने दोपहर 3 बजे तक इसे गुप्त रखा था। जमान ने उनके इस्तीफे की खबर के बारे में तब लोगों को बताया,जब वे सुरक्षित अगरतल्ला पहुंच गई थी। चौथे अफसर रहे सुरक्षा सलाहकार तारिक अहमद सिद्धीकी और वह शेख हसीना को लेकर भारत पहुंचे विशेष विमान में साथ थे। तारिक शेख हसीना की छोटी बहन शेख रेहाना के रिश्ते में देवर भी हैं।
बहन शेख रेहाना के मनाने पर देश छोड़ने को राजी हुईं थीं शेख हसीना
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की बहन शेख रेहाना कोई सरकारी पद पर तो नहीं है लेकिन हमेशा शेख हसीना के साथ ही रहती हैं। बताया जाता है कि जब शेख हसीना बांग्लादेश से जाने को तैयार नहीं हुईं तो अधिकारियों ने रेहाना का सहारा लिया। अधिकारियों ने यह समझाया कि अब ज्यादा गोलीबारी नहीं की जा सकती है और ऐसे में प्रदर्शनकारी पीएम हाउस में आसानी से घुस सकते हैं और फिर शेख हसीना की बंगबंधु की तरह हत्या हो सकती है। उसके बाद दोनों बहन आसानी से चॉपर से त्रिपुरा के लिए निकल गईं और फिर अगरतला से दोनों बहनों को भारत सरकार ने दिल्ली बुलवाया।