डीजीपी ने झारखंड के सभी थानों से प्राइवेट चालक हटाने का आदेश दिया। आदेश उल्लंघन पर थानेदार पर होगी कार्रवाई, सरकारी चालकों की कमी है बड़ी समस्या।
रांची:डीजीपी ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि किसी भी थाना या ओपी में प्राइवेट चालक या सरिस्ता कार्य के लिए प्राइवेट व्यक्ति रखने का प्रावधान नहीं है। आदेश के अनुसार, अगर किसी भी थाने में प्राइवेट व्यक्ति कार्यरत पाए जाते हैं तो इसके लिए संबंधित थानेदार और ओपी प्रभारी जिम्मेदार होंगे और उन पर अनुशासनिक कार्रवाई भी की जा सकती है।
Key Highlights:
डीजीपी ने थानों में प्राइवेट चालक रखने पर लगाई रोक
आदेश उल्लंघन पर थानेदार और ओपी प्रभारी होंगे जिम्मेदार
रांची के कई थाने अब भी प्राइवेट चालकों पर निर्भर
सरकारी चालकों की कमी बनी बड़ी समस्या
जिलों के 90% थाने प्राइवेट चालकों के सहारे
डीजीपी का सख्त आदेश:
डीजीपी आदेश तो दे दिया है लेकिन हालांकि राजधानी रांची के अधिकांश थाने अब भी प्राइवेट चालकों पर ही निर्भर हैं। इसका कारण है सरकारी चालकों की भारी कमी। रांची के कोतवाली, सुखदेव नगर, नामकुम, चुटिया, लोअर बाजार, सदर और अरगोड़ा थानों में गश्ती गाड़ियों को प्राइवेट चालक ही चला रहे हैं। नामकुम थाने में तो एक प्राइवेट चालक पिछले 15 वर्षों से कार्यरत है।
डीजीपी का सख्त आदेश:
स्थिति यह है कि जिलों के लगभग 90 फीसदी थाने सरकारी चालकों के अभाव में प्राइवेट चालकों पर निर्भर हैं। इन चालकों को भुगतान किस फंड से किया जाता है, इसकी स्पष्ट जानकारी किसी के पास नहीं है। डीजीपी के आदेश के बाद जिलों के एसपी ने भी थानों से प्राइवेट चालकों को हटाने का निर्देश जारी किया है।
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