Friday, July 18, 2025

Related Posts

झारखंड के स्कूलों से गायब हो रहे छात्र: U-DISE+ रिपोर्ट ने खोली शिक्षा व्यवस्था की पोल, 12 लाख से अधिक बच्चे हुए कम

[iprd_ads count="2"]

रांची: झारखंड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था इन दिनों गंभीर सवालों के घेरे में है। हाल ही में आई U-DISE+ (Unified District Information System for Education Plus) की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2024-25 की तुलना में 2025-26 सत्र में राज्य के सरकारी और निजी विद्यालयों में 12.27 लाख बच्चों की संख्या में कमी आई है। यह आंकड़ा केवल संख्या नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य पर मंडराते संकट का संकेत है।

U-DISE+ क्या है?
U-DISE+ भारत सरकार द्वारा विकसित एक डिजिटल प्रणाली है, जिसके माध्यम से पूरे देश के स्कूलों की शिक्षा संबंधी जानकारी एकत्रित कर विश्लेषण किया जाता है। इसका उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता, पहुंच और संसाधनों की निगरानी करना है।

नामांकन में भारी गिरावट
पिछले सत्र में जहां 7390766 छात्र-छात्राएं नामांकित थे, वहीं इस बार यह आंकड़ा घटकर 6162639 रह गया है। यानी कुल 1227637 विद्यार्थी स्कूलों से बाहर हो गए हैं। यह गिरावट न केवल सरकारी विद्यालयों में बल्कि निजी विद्यालयों में भी देखी गई है। इस संदर्भ में सबसे ज्यादा कमी रांची (113504) और गिरिडीह (109715) जिलों में देखी गई है।

जिलेवार आंकड़े (छात्रों की कमी):

  • रांची: 113504

  • गिरिडीह: 109715

  • धनबाद: 90789

  • हजारीबाग: 77452

  • पूर्वी सिंहभूम: 77300

  • पलामू: 85499

  • देवघर: 57301

  • बोकारो: 65810

  • दुमका: 46385

  • लातेहार: 23568

  • जामताड़ा: 21378

  • सिमडेगा: 17137

  • चतरा: 39525

  • गढ़वा: 5181

  • साहिबगंज: 4374

  • गुमला: 4024

  • रामगढ़: 3642

  • कोडरमा: 3497

  • लोहरदगा: 2128

  • खूंटी: 1856

बिना छात्रों के 199 स्कूल और 398 शिक्षक!
जनवरी 2025 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 199 ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है, फिर भी वहां 398 शिक्षक तैनात हैं और उन्हें नियमित वेतन भी मिल रहा है। इसके अतिरिक्त 8353 स्कूलों में मात्र एक शिक्षक ही कार्यरत हैं, जो संपूर्ण विद्यालय संचालन का भार अकेले उठा रहे हैं।

विभाग ने मांगा जवाब
इस गिरावट को गंभीरता से लेते हुए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को कारणों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि छात्र विद्यालय में उपस्थित हैं और आंकड़े अपडेट नहीं हुए हैं, तो 31 जुलाई 2025 तक अपडेट अनिवार्य है।

समस्या की जड़ में कौन से कारण?
विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता, संसाधनों की कमी, शिक्षकों की अनुपस्थिति, बच्चों का पलायन और मजदूरी में झुकाव जैसे कई कारण इस गिरावट के पीछे हो सकते हैं।

यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों की नहीं, बल्कि झारखंड की भावी पीढ़ी की शिक्षा के प्रति गिरते भरोसे की कहानी है, जिसे गंभीरता से लेना अब अनिवार्य हो गया है।