रांची: JTET के आयोजन को लेकर पिछले नौ वर्षों से इंतजार कर रहे लाखों अभ्यर्थियों के लिए अब उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में स्पष्ट कर दिया कि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य है। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास अब यह फैसला करने की जिम्मेदारी है कि परीक्षा कब आयोजित होगी।
2011 से अब तक सिर्फ एक बार हुई JTET परीक्षा
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2011 के तहत झारखंड में हर साल JTET परीक्षा होनी चाहिए थी। लेकिन 2011 से 2025 के बीच सिर्फ एक बार, वर्ष 2016 में ही परीक्षा कराई गई। इस दौरान राज्य में दो बहुमत वाली सरकारें रहीं—2014 से 2019 तक रघुवर दास सरकार और 2019 से अब तक हेमंत सोरेन की सरकार। इसके बावजूद शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन नहीं हो पाया।
झारखंड में पिछले 9 साल से JTET परीक्षा नहीं हुई, 2016 में आखिरी बार आयोजित।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: शिक्षक भर्ती के लिए TET पास होना अनिवार्य।
2024 में दो बार विज्ञापन जारी हुआ, दोनों ही बार विसंगतियों के कारण रद्द।
भाषा चयन को लेकर विवाद—कई जिलों में स्थानीय प्रमुख भाषाएं शामिल नहीं की गईं।
करीब 5 लाख अभ्यर्थी प्रभावित, कई की उम्र सीमा पार हो गई।
26 अगस्त 2025 को विधानसभा सत्र के दौरान अभ्यर्थियों का प्रदर्शन।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अभ्यर्थियों की मुलाकात, परीक्षा कराने की मांग।
JTET न होने से सहायक आचार्य भर्ती में 15,000 पद खाली रह गए।
अब फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथ में, जल्द परीक्षा की उम्मीद।
विज्ञापन दो बार जारी हुआ, दोनों बार रद्द
2024 में झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) ने दो बार JTET की अधिसूचना जारी की। पहली बार अगस्त में सिलेबस संबंधी विसंगतियों के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी। नियम के मुताबिक कक्षा 1 से 5 तक के लिए प्रश्नपत्र का स्तर 10वीं तक और कक्षा 6 से 8 तक के लिए 12वीं तक होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं था।
अक्टूबर 2024 में नया विज्ञापन जारी हुआ, लेकिन इस बार भाषा चयन को लेकर विवाद खड़ा हो गया। कई जिलों में वहां की प्रमुख भाषाओं को विकल्प में शामिल नहीं किया गया। खूंटी, पलामू, गढ़वा और अन्य जिलों के अभ्यर्थियों ने कड़ा विरोध जताया। इसके बाद JAC ने विज्ञापन वापस ले लिया।
अभ्यर्थियों का आंदोलन और मुख्यमंत्री से मुलाकात
26 अगस्त 2025 को विधानसभा मानसून सत्र के दौरान अभ्यर्थियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इसके दो दिन बाद प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर परीक्षा कराने की मांग की। अभ्यर्थियों ने बताया कि 2016 के बाद से JTET परीक्षा न होने के कारण लगभग 5 लाख उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं। कई अभ्यर्थी उम्र सीमा पार कर चुके हैं, तो कई निजी स्कूलों में कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं।
नियुक्तियों पर असर और सुप्रीम कोर्ट का रुख
2016 के बाद JTET न होने से सहायक आचार्य भर्ती में भी बड़ी दिक्कतें आईं। करीब 15,000 पद खाली रह गए क्योंकि केवल JTET पास अभ्यर्थियों को ही मौका दिया गया। हाई कोर्ट ने अन्य राज्यों के TET पास उम्मीदवारों को मौका देने का आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
अब सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि बिना JTET पास कोई भी शिक्षक नियुक्त नहीं होगा।
अब मुख्यमंत्री से उम्मीद
वर्तमान में स्कूली शिक्षा विभाग भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास है। ऐसे में अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि जल्द ही नियमावली की विसंगतियां दूर करके JTET परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। शिक्षक दिवस के मौके पर यदि इस दिशा में ठोस निर्णय हो जाए तो यह झारखंड के लाखों बेरोजगार युवाओं और शिक्षा व्यवस्था दोनों के लिए राहत की बात होगी।
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