रांची: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के बोकारो जिले से जुड़े एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को ‘मियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहना गलत है, लेकिन यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आपराधिक कृत्य नहीं है। अदालत ने इस टिप्पणी के आधार पर दर्ज केस को रद्द कर दिया और आरोपी एचएन सिंह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
झारखंड के बोकारो जिले के चास अनुमंडल कार्यालय में कार्यरत उर्दू ट्रांसलेटर और कार्यवाहक लिपिक शमीमुद्दीन ने 2020 में सेक्टर फोर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकारी कार्य के दौरान आरोपी एचएन सिंह ने उन्हें ‘मियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहकर सांप्रदायिक टिप्पणी की। इसके आधार पर पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए समन जारी किया।
एचएन सिंह ने इस आदेश के खिलाफ एडिशनल सेशन जज और फिर झारखंड हाईकोर्ट में अपील की, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। अंततः उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मंगलवार को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपी की टिप्पणी गलत थी, लेकिन इससे कोई आपराधिक मामला नहीं बनता। इसके साथ ही अदालत ने दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया और आरोपी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मुद्दे पर कानूनी और सामाजिक चर्चा शुरू हो गई है।