सुप्रीम कोर्ट ने कहा सेवा और प्रमोशन के लिए शिक्षकों को टीईटी पास करना जरूरी है। झारखंड के 40 हजार शिक्षकों और पारा शिक्षकों पर असर पड़ेगा।
रांची: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम आदेश में कहा कि अब शिक्षकों के लिए सेवा में बने रहने और प्रमोशन पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना जरूरी होगा। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पांच साल से ज्यादा शेष है, वे इस नियम के दायरे में आएंगे।
कोर्ट ने शिक्षकों को टीईटी पास करने के लिए दो साल का समय दिया है। इसके बाद जो शिक्षक परीक्षा पास नहीं कर पाएंगे, उन्हें या तो इस्तीफा देना होगा या फिर अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी। हालांकि, जिनकी सेवा केवल पांच साल या उससे कम बची है, उन्हें आंशिक राहत दी गई है, लेकिन प्रमोशन के लिए टीईटी पास करना उनके लिए भी अनिवार्य होगा।

पहले बढ़ाई गई थी समय सीमा –
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने शिक्षकों को टीईटी क्वालिफाई करने के लिए पहले पांच साल का समय दिया था, जिसे बाद में चार साल और बढ़ाया गया। बावजूद इसके कई राज्यों में टीईटी पास न होने पर भी शिक्षकों को प्रोन्नति मिल रही थी, जिस पर आपत्ति जताई गई और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
Key Highlights
सुप्रीम कोर्ट: सेवा और प्रमोशन के लिए शिक्षकों को टीईटी पास करना होगा
दो साल की मोहलत, असफल होने पर इस्तीफा या अनिवार्य रिटायरमेंट
झारखंड में 40 हजार प्राथमिक शिक्षक, 27 हजार अपात्र
50 हजार पारा शिक्षकों पर भी असर, केवल 11 हजार ही पास
हाईकोर्ट ने हाईस्कूल शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के लिए आयोग बनाया
झारखंड में 40 हजार प्राथमिक शिक्षक, 27 हजार टीईटी पास नहीं
झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के अध्यक्ष आनंद किशोर साहू ने बताया कि राज्य में लगभग 40 हजार प्राथमिक शिक्षक हैं, जिनमें केवल 13 हजार ही टीईटी पास हैं। करीब 27 हजार शिक्षक अब भी अपात्र हैं। इनमें लगभग 7 हजार की उम्र 55 साल से अधिक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का असर राज्य के 50 हजार पारा शिक्षकों पर भी पड़ेगा। इनमें से महज 11 हजार ही टीईटी पास हैं।
हाईकोर्ट ने बनाई जांच आयोग
इधर, झारखंड हाईकोर्ट ने हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा की मेरिट लिस्ट की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। रिटायर्ड जस्टिस एसएन पाठक आयोग के अध्यक्ष होंगे। कोर्ट ने तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है और कहा कि अगर गड़बड़ी साबित होती है तो जेएसएससी अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
अल्पसंख्यक संस्थानों पर अलग सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि फिलहाल यह आदेश माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशंस पर लागू नहीं होगा। इस पर बड़ी बेंच बाद में सुनवाई कर फैसला करेगी।
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