रांची: झारखंड में नई उत्पाद नीति एक मई से लागू होने की संभावना है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने इसका ड्राफ्ट राजस्व पर्षद, वित्त विभाग और विधि विभाग को भेज दिया है। विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने बताया कि नई नीति को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न विभागों से सहमति ली जा रही है। कैबिनेट से मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
नई नीति का मुख्य उद्देश्य उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के राजस्व को बढ़ाना है। फिलहाल विभाग का वार्षिक राजस्व लक्ष्य ₹2700 करोड़ है, जिसे बढ़ाकर ₹3500-3800 करोड़ करने की योजना है।
नई उत्पाद नीति के तहत राज्य की 1500 से अधिक शराब की खुदरा दुकानें निजी हाथों को सौंपी जाएंगी। इन दुकानों को लॉटरी के माध्यम से छोटे समूहों को आवंटित किया जाएगा। लॉटरी प्रक्रिया में समय लगने के कारण अब इसे 1 अप्रैल के बजाय 1 मई से लागू करने का निर्णय लिया गया है।
गत सोमवार को उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने विभागीय अधिकारियों और एनआईसी के अफसरों के साथ बैठक कर नीति के हर पहलू की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि करना है।
नई नीति के लागू होने से झारखंड में शराब की बिक्री और वितरण व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। अब सरकार की मंजूरी के बाद नीति के औपचारिक क्रियान्वयन की प्रतीक्षा की जा रही है।